Petrol-Diesel Price Today: नया दिन, नया महीना। पेट्रोल और डीजल की कीमतें (prices of petrol and diesel), जो रोजमर्रा के खर्चों पर सीधा असर डालती हैं, देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) हर दिन सुबह 6 बजे जारी करती हैं। ये रेट अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों (international crude oil prices) और डॉलर-रुपये के एक्सचेंज रेट में बदलाव के आधार पर तय होते हैं। अभी किस शहर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें (petrol and diesel prices) सबसे कम हैं? हालांकि, GST में कटौती का पेट्रोलियम उत्पादों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 2 अक्टूबर को भारत का फ्यूल मार्केट लगभग स्थिर रहा। मुंबई में पेट्रोल की कीमत 103.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.02 रुपये प्रति लीटर थी।
किस शहर में कीमत सबसे कम है?
आज मुंबई में तेल की कीमतों (fuel prices) में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है, पेट्रोल 104.21 रुपये और डीजल 92.15 रुपये प्रति लीटर हो गया है। बेंगलुरु में पेट्रोल की कीमतें स्थिर रहीं, जबकि डीजल के रेट में थोड़ी गिरावट आई। चंडीगढ़ में पेट्रोल की कीमत 94.30 रुपये प्रति लीटर है, जो दिल्ली के 94.72 रुपये प्रति लीटर से कम है। डीजल भी चंडीगढ़ में 82.45 रुपये प्रति लीटर के साथ सभी बड़े शहरों में सबसे सस्ता है।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव
तेल की कीमतें वैश्विक बाजार, कच्चे तेल के रेट, टैक्स और ट्रांसपोर्टेशन लागत के आधार पर हर दिन बदलती हैं। इसलिए, एक ही दिन में भी राज्यों और शहरों में फ्यूल की कीमतें अलग-अलग होती हैं। अगर आप रोज सफर करते हैं या इस वीकेंड लंबी ड्राइव की योजना बना रहे हैं, तो आज की पेट्रोल और डीजल की कीमतें आपके बजट पर सीधा असर डाल सकती हैं।
पिछले दो साल से कीमतें स्थिर हैं?
केंद्र सरकार और कई राज्यों द्वारा टैक्स में कटौती के बाद मई 2022 से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं के लिए कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रही हैं।
फ्यूल की कीमतें तय करने वाले कारक
कच्चे तेल की कीमतें:
पेट्रोल और डीजल मुख्य रूप से कच्चे तेल से बनते हैं। जब अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया:
भारत अपना अधिकांश कच्चा तेल आयात करता है और यह डॉलर में खरीदा जाता है। अगर रुपया कमजोर होता है, तो ईंधन महंगा हो जाता है।
सरकार का टैक्स और ड्यूटी:
केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर भारी टैक्स लगाती हैं, जो खुदरा कीमत का एक बड़ा हिस्सा होता है। यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों में कीमतों में अंतर होता है।
रिफाइनिंग की लागत:
कच्चे तेल को इस्तेमाल लायक बनाने (रिफाइनिंग) की प्रक्रिया में भी लागत आती है। यह लागत कच्चे तेल की क्वालिटी और रिफाइनरी की क्षमता पर निर्भर करती है।
मांग और आपूर्ति का संतुलन:
अगर मार्केट में ईंधन की मांग बढ़ती है, तो कीमतें भी बढ़ने लगती हैं। त्योहारों, गर्मियों या सर्दियों में ईंधन की खपत विशेष रूप से अधिक होती है।
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Thu, Oct 02 , 2025, 04:19 PM