मुंबई: भारतीय कंपनियां (Indian companies) अब किसी अधिग्रहण सौदे को मूर्त रूप देने के लिए भी कर्ज ले सकेंगी। यह रिजर्व बैंक (RBI) के ऋण उठाव को बढ़ावा (boost credit flow) देने के लिए बुधवार को प्रस्तावित पांच उपायों में से एक है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने अपने बयान में कहा कि बैंकों के पूंजी बाजार ऋण (capital market lending) के दायरे का विस्तार करते हुए प्रस्ताव किया जा रहा है कि भारतीय बैंकों के द्वारा भारतीय कंपनियों को अधिग्रहण के लिए ऋण देने के लिए एक सहायक फ्रेमवर्क तैयार किया जायेगा।
इसके अलावा, एक अन्य प्रस्ताव के तहत सूचीबद्ध डेट सिक्योरिटी के खिलाफ ऋण की अधिकतम सीमा समाप्त कर दी गयी है। इसके अलावा शेयरों की बिना पर बैंक ऋण की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गयी है। आईपीओ के वित्तपोषण के लिए ऋण सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का भी प्रस्ताव है।
मल्होत्रा ने बताया कि संचालन में मौजूद, उच्च गुणवत्ता वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा दिये गये ऋण के मामले में जोखिम भारांश करने का प्रस्ताव है। इससे एनबीएफसी इन परियोजनाओं के लिए ज्यादा ऋण दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि साल 2004 के बाद से नये शहरी सहकारी बैंकों के लिए लाइसेंस जारी नहीं किये गये हैं। पिछले दो दशकों में इस सेक्टर के सकारात्मक विकास और हितधारकों की मांग को देखते हुए नये शहरी सहकारी बैंकों की लाइसेंसिग के लिए रिजर्व बैंक एक चर्चा पत्र पेश करेगा।
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Wed, Oct 01 , 2025, 12:30 PM