पटना: जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने मंगलवार को कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के भ्रष्टाचार से अवगत कराने के लिए उन्होंने राज्यपाल से मिलने की कोशिश की लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी और भविष्य में श्री चौधरी के खिलाफ यदि सरकार कोई कारवाई नही करती है तो उनकी पार्टी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।
सिंह के साथ प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता रामबली चंद्रवंशी और प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने आज प्रदेश के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान से मिलने की कोशिश की लेकिन पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम होने के बावजूद राज्यपाल श्री खान से इन नेताओं की मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद जनसुराज के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल के प्रधान सचिव को एक ज्ञापन दिया और साथ मे प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखा पत्र भी सौंपा गया।
राजभवन से बाहर आकर जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संवाददाताओं को राज्यपाल से मुलाकात नहीं होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्यपाल की अनुपस्थिति में प्रतिनिधि मंडल ने उनके प्रधान सचिव को अपनी मांगों का ज्ञापन और साथ में प्रधानमंत्री मोदी में नाम लिखा एक पत्र भी सौंपा । उन्होनें कहा कि जनसुराज पार्टी को उम्मीद है कि राज्यपाल खान इस मामले को आगे बढ़ाएंगे और प्रधानमंत्री मोदी बिहार के उपमुख्यमंत्री चौधरी पर कार्रवाई शुरु करने का आदेश देंगे।
सिंह ने खुद पर चुनाव के नामांकन के समय गलत उम्र बताने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने नियमानुसार नामांकन के वक्त वही उम्र बताया है जो वोटर लिस्ट में है और उम्र छिपाकर मुझे कोई लाभ नहीं होनेवाला था। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी की तरफ से दिए गए ज्ञापन में लिखा गया है कि तारापुर थाना कांड संख्या 44/1995 में सम्राट चौधरी उर्फ़ राकेश कुमार अभियुक्त बनाए गए तथा पुलिस द्वारा उनकी गिरफ़्तारी भी हुई, लेकिन उन्होंने मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के सामने अपने स्कूल का सर्टिफिकेट दिखाकर स्वयं को नाबालिग साबित किया और जमानत हसिल कर ली।
उसके बाद वर्ष 1999 में श्री चौधरी जब विधायक के साथ कृषि विभाग में मंत्री बने, तब पी के सिन्हा की याचिका पर तत्कालीन बिहार के राज्यपाल ने उन्हें 25 वर्ष से कम आयु का होने की वजह से मंत्री पद से हटा दिया था। फिर वर्ष 2000 में सम्राट चौधरी परबत्ता विधान सभा क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य बने। उनकी सदस्यता को न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसमें सर्वोच न्यायालय का वर्ष 2003 में निर्णय आया। आदेश में स्पष्ट किया गया कि एक मुकदमे में जमानत के समय श्री चौधरी ने वर्ष 1996 में अपनी आयु 16 वर्ष से कम दर्शाई थी। इस आधार पर वर्ष 2000 में हुआ उनका विधायक के रूप में निर्वाचन भी निरस्त कर दिया गया।
सिंह ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में चौधरी ने अपने नामांकन पत्र में उम्र 28 वर्ष बतायी और वर्ष 2020 के विधान परिषद चुनाव नामांकन घोषणापत्र में उन्होंने अपनी आयु 51 वर्ष दर्ज की है। जबकि सर्वोच न्यायालय के अनुसार यदि 1996 में उनकी आयु 16 वर्ष से कम थी, तो 2020 में उनकी आयु 40 वर्ष से भी कम होनी चाहिए। जनसुराज के नेता ने कहा, यह स्पष्ट है कि श्री चौधरी ने उक्त हत्याकांड से बचने के लिए स्वयं को नाबालिग दर्शाया और न्यायिक व्यवस्था को धोखे में रखा तथा पुनः वर्ष 2020 में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए झूठी जानकारी प्रस्तुत कर चुनाव में उतरे और उपमुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए।
उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक एवं न्यायिक व्यवस्था में जनमानस का विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि श्री चौधरी को तत्काल उपमुख्यमंत्री पद से हटाया जाए और हत्या तथा जालसाजी के मामले में तुरंत गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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Wed, Oct 01 , 2025, 07:26 AM