Worshipping at the Kamakhya Temple: कामाख्या मंदिर में पूजा करने से भक्तों को मिलती है कष्टों से मुक्ति! सात सौ साल पुराना है इतिहास 

Tue, Sep 30 , 2025, 12:55 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Kamakhya Temple In Patna: पूर्णिया जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर कृत्यनगर प्रखंड क्षेत्र के मजरा पंचायत (Majra Panchayat, Kritinagar block,) में स्थित कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में पूजा करने से भक्तों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। पूर्णिया का कामाख्या मंदिर,असम के गुवाहटी के बाद देश का दूसरा कामाख्या मंदिर माना जाता है। करीब सात सौ साल पुराने इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि हर मंगलवार को मां कामाख्या यहां विराजमान रहती है और यही कारण है कि यहां मंगलवार को काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर देवी मां की पूजा अर्चना करते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार यह मंदिर मुगलकालीन (Mughal period) है और मंदिर की स्थापना की कहानी दो दिव्य बहनों की कथा से जुड़ी है।

ऐसा कहा जाता है कि सुंदरी और श्यामा नाम (Sundari and Shyama) की दो लड़कियां थीं। मुगलों से इनकी रक्षा करने के लिए माता यहां पहुंच गई थीं। माता के मंदिर में इन दोनों लड़कियों का भी एक मंदिर बना हुआ है। यहां प्रतिमा नहीं बल्कि देवी मां की पिंडी स्थापित है और इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। यही वजह है कि लोगों में यह विश्वास है कि यहां मांगी गई मन्नत हर हाल में पूरी होती है।

पुष्पांजलि के बाद भक्तगण तब तक खड़े रहते हैं जब तक देवी मां की पिंडी पर अर्पित फूल नहीं गिरता है। भक्त फूल को अपने माथे से लगाते हुए इस विश्वास के साथ घर लौटते हैं कि देवी मां ने उनके मुरादों की अर्जी स्वीकार कर ली। कहा जाता है कि इस मंदिर में आने वाले कोई भी कुष्ठ रोगी या चर्म रोगी यदि सच्चे मन और सच्ची भावना के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करे तो मां निश्चित ही उसके कष्टों को हर लेती हैं। असाध्य रोगों को मां अपनी चमत्कारी कृपा से जल्द स्वस्थ कर देती हैं।

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