भोपाल: मध्यप्रदेश में मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) की नियुक्तियों के मामले में कांग्रेस ने सरकार पर हमला (Congress party has attacked the government) बोलते हुए 'संविधान के खतरे' में होने का आरोप लगाया है। दरअसल कल इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) की उपस्थिति में एक बैठक हुई। इस बैठक के पहले और इसके बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (Umang Singhar) ने इस मामले को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का दावा किया। सिंघार ने अपने बयान में कहा कि मुख्यमंत्री आवास पर हुई मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर हुई बैठक में उन्होंने नियुक्तियों को लेकर असहमति जताई है। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।
उन्होंने दावा किया कि नियुक्ति को लेकर कोई सार्वजनिक सूचना या विज्ञापन नहीं दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों में विज्ञापन के माध्यम से आवेदन बुलाए गए। यह समान अवसर और पारदर्शिता के मानकों के विपरीत है। उच्चतम न्यायालय ने लोकपाल/केंद्रीय सूचना अधिकारी जैसे निकायों में खुला विज्ञापन और स्पष्ट मापदंड पर बल दिया है। स्वप्रेरित आवेदनों को चयन‑आधार नहीं बनाया जा सकता। सिंघार ने आरोप लगाया कि समिति को भेजे गए नामों में (विभागीय सूची अनुसार) अनुसूचित जाति-जनजाति का कोई नाम नहीं दिख रहा है।
भले अधिनियम में आरक्षण का अनिवार्य प्रावधान नहीं है, पर मानवाधिकार निकाय में समावेशी/विविध प्रतिनिधित्व नीतिगत रूप से अपेक्षित है। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का हवाला देते हुए कहा कि वे लगातार भाजपा से संविधान को खतरा होने की बात कह रहे हैं। अब मध्यप्रदेश में भी यह सच होता दिखाई दे रहा है कि भाजपा संवैधानिक पदों पर खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनेगी, तो अदालत के दरवाजे खटखटाएंगे, क्योंकि यह प्रदेश की जनता के अधिकारों का मामला है।
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Tue, Sep 30 , 2025, 12:20 PM