America Trump Leftists: भारत का खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान, छोटे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों की बड़ी भूमिका!

Thu, Sep 25 , 2025, 09:58 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली। भारत पर कृषि बाजार को खोलने के लिए अमेरिका जैसे देशों की ओर से बढ़ते दबावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा (Global Food Security)में भारत निरंतर योगदान कर रहा है और इसमें देश के छोटे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों की बड़ी भूमिका है। मोदी ने राजधानी के भारत मंडपम में वर्ल्ड फूड इंडिया सम्मेलन (World Food India Conference) एवं प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत अपनी कृषि फसलों की विविधताओं , बड़े स्तर के उत्पादन और बढते उपभोक्ता बजार के साथ खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में वैश्विक निवेशकों के लिए बड़ी संभावनाओं का बाजार है। समारोह में देश विदेश के निवेशकों की उपस्थिति में उन्होंने उन्हें भारत की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करने और संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। सभा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान और रविन्दर सिंह बिट्टू भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत से प्रसंस्कृत खाद्यों की पैकेजिंग के लिए जैविक रूप से विघटित होने वाली पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करने की अपील करते हुए इस क्षेत्र में निवेश पर ध्यान देने और बायो डिग्रेडेबल पैकेजिंग की ओर बढ़ने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा, 'हमारे खाद्य उत्पाद सुरक्षित रहे, साथ में हमें प्रकृति का ध्यान भी रखना जरूरी है। हमने बायो डिग्रेडेबल पैकेजिंग को प्रोत्साहित करने के लिए जीएसटी की दर 18 की जगह पांच प्रतिशत कर दिया है। मोदी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को शत प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ कारोबार करने की अनुमति दी गयी है, ' उन्होंने कहा, '' भारत ने अपने दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिये हैं। हम सभी निवेशकों को खाद्य उद्योग में निवेश के लिए आमंत्रित करते हैं। हम मिलजुल कर और साथ-साथ काम करने को तैयार हैं। मैं दुनिया भर के सभी निवेशकों को भारत के बढ़ते खाद्य क्षेत्र के अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में शामिल होने का यह सर्वोत्तम समय है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 10 साल में भारत की प्रोसेसिंग कैपिसिटी में 20 गुना वृद्धि हुई है।" खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और वैल्यू चेन में हमारे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों, और छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाइयों की बहुत बड़ी भूमिका है। भारत में 85 प्रतिशत से अधिक किसान छोटे और सीमांत किसान हैं। इसलिए हमने ऐसी नीतियां बनाई और उन्हें मदद करने की ऐसा व्यवस्था बनायी है कि आज छोटे किसान की बाजार की बड़ी ताकत बन रहे हैं।" उन्होंने कहा कि मरीन और फिसरीज में भी भारत की ग्रोथ शानदार है। आज का भारत नवाचार और सुधारों के नए पथ पर अग्रसर है। अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों की बहुत चर्चा है। ये सुधार किसानों के लिए ' कम लागत और ज्यादा लाभ का भरोसा लेकर आए हैं।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में स्वयं सहायता समूह सक्रिय रूप से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ चला रहे हैं, जो गाँवों में लाखों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान कर रही हैं। इन पहलों को बढ़ावा देने के लिए, हमारी सरकार ऋण-आधारित सब्सिडी प्रदान कर रही है। मोदी ने इसी समारोह में बटन दबा कर 26 हजार स्वयं सहायता समूहों के इन प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए आज ही लगभग 800 करोड़ रुपये की ऋण से जुड़ी सब्सिडी हस्तांतरित की।उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, सरकार किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के विस्तार को प्राथमिकता दे रही है। 2014 से अब तक लगभग 10,000 एफपीओ स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे अनगिनत छोटे किसानों को लाभ हुआ है और वे एक साथ आए हैं, जिससे कृषि विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण को और बढ़ावा मिला है। एफपीओ के 15000 उत्पाद आज आनलाइन बाजार में हैं। ये एफपीओ कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की कृषि विविधता को हको घर घर पहुचाने में लगे हैं। 1100 एफपीओ करोड़पति बन गये हैं। ये न केवल छोटे किसानों की फल को बाजार तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं बल्कि खाद्य प्रसंस्करण के काम भी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निवेशकों जहां भी जाते हैं ,सबसे पहले वहां की प्राकृतिक शक्ति को देखते हैं और भारत अपनी कृषि विविधता और बड़े बाजार के साथ दुनिया भर के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। उन्होंने भारत में दस साल में 25 करोड़ लोगों के गरीबी से ऊपर उठने का उल्लेख करते हुए कहा कि ये लोग भारत के उपभोक्ता बाजार को और समृद्ध बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ' भारत में निवेश का यही समय है सही समय है।" उन्होंने कहा कि दुनिया में दूध के उत्पादन में चौथाई योगदान भारत का है, भारत ज्वार-बाजरा जैसे श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्पादक है, चावल जैसी जिंसों में देश का दूसरा स्थान है। दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला में जब भी व्यवधान पड़ता है भारत आपूर्ति बनाये रखने के लिए हमेशा आगे आता है। "हम अपनी क्षमता बढ़ाना चाहते हैं पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहे हैं।"

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