पटना: बिहार में लक्ष्मणपुर बाथे जनसंहार की सुनवाई 17 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय में होने जा रही है और इस अहम सुनवाई से पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) के विधायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर सरकार से मजबूत पैरवी और न्याय सुनिश्चित करने की मांग की है।
अरवल के विधायक महानंद सिंह और फुलवारी शरीफ के विधायक गोपाल रविदास की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि, यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी का भी है। उन्होंने आग्रह किया है कि सरकार समय रहते सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूर्ण करे और एक सक्षम और अनुभवी अधिवक्ता की नियुक्ति कर सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी सुनिश्चित करे।
माले की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि वर्ष 1997 में हुए इस जनसंहार में 58 दलितों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस अमानवीय घटना को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने ‘राष्ट्रीय शर्म’ बताया था, लेकिन वर्ष 2013 में पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले में सभी दोषियों को बरी कर दिया था, जिसे माले और पीड़ित परिवारों ने न्याय का दूसरा संहार करार दिया था।
इस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार और भाकपा (माले) दोनों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। अब यह मामला फिर से न्याय की दहलीज पर है और पीड़ित परिवारों को एक बार फिर उम्मीद की किरण दिख रही है। माले ने इस मामले में सरकार से गंभीरता से इसकी समीक्षा, एक वरिष्ठ अधिवक्ता की नियुक्ति कर मुकदमे की ठोस पैरवी, उच्च न्यायालय में हुई चूकों की पुनरावृत्ति न हो और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिये राज्य अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाये। माले ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि सरकार इस बार भी लापरवाह रही तब यह न्याय व्यवस्था और दलित अधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करेगा।
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Mon, Sep 15 , 2025, 07:40 AM