What is Narayanbali : हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, वर्तमान में सर्वत्र पितृ पक्ष 2025 (Pitru Paksha 2025) चल रहा है। तदनुसार, कल, यानी 21 सितंबर 2025, पितृ पक्ष का अंतिम दिन, यानी सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) है। इस पंद्रह दिनों की अवधि में पितृ पक्ष क्यों किया जाता है? यदि पितृ पक्ष नहीं किया जाता है, तो इसके परिणाम क्या होते हैं, कौवे को भोजन खिलाने से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। लेकिन, नारायणबलि क्या (what is Narayanbali) है? पूर्वज कब प्रेत बन जाते हैं? आइए इस संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
नारायणबलि क्या है?
नारायणबलि एक विशेष श्राद्ध कर्म (special shraddha ritual) है। यह कर्म भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, आकस्मिक मृत्यु, आत्महत्या, गर्भपात, दाह-संस्कार में दोष के साथ-साथ पितरों की शांति के लिए किया जाता है। इसमें शव को नारायण (विष्णु) के रूप में शांत किया जाता है और परलोक (Pitraloka) में जाने में सहायता की जाती है। यह अनुष्ठान मुख्यतः त्र्यंबकेश्वर (नासिक), गोकर्ण, भीमाशंकर, रामटेक जैसे तीर्थस्थलों में किया जाता है।
पितर कब प्रेत बनते हैं?
जब मृत्यु अप्राकृतिक तरीके से होती है जैसे अकाल मृत्यु, दुर्घटना, आत्महत्या, विषपान, डूबना, गर्भपात, युद्ध में मृत्यु, तो वह आत्मा आसानी से परलोक (पितृलोक, देवलोक) नहीं जाती। ऐसे समय में वह आत्मा शव के रूप में भटकती रहती है और परिवार को परेशान कर सकती है। यदि उचित कर्मकांड (अंतिम संस्कार, श्राद्ध, नारायणबलि) न किए जाएँ, तो आत्मा असंतुष्ट रहती है।
पितरों के प्रेत के रूप में फँसे होने के लक्षण:
इसलिए शास्त्रों में ऐसे समय में नारायणबलि अनुष्ठान करने को कहा गया है, ताकि आत्मा को आगे बढ़ने का मार्ग मिले और परिवार के सदस्यों को भी शांति मिले।
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Sat, Sep 20 , 2025, 03:24 PM