पटना: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने गुरुवार कहा कि उन्होंने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास 10, सर्कुलर रोड जाकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव से अपनी पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने की अपील की, लेकिन उनका यह प्रयास भी विफल रहा और ऐसी परिस्थिति में अगर उनकी पार्टी को अकेले ही चुनाव उतरती है तो मुस्लिम मतों के बिखराव के लिए राजद जिम्मेदार होगा।
ईमान ने कहा कि मुस्लिम मतों के बिखराव को रोकने के लिए की गई उनकी आखिरी कोशिश बेकार हो गई है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन से गठजोड़ में शामिल होने के लिए लंबे समय से उनका प्रयास चल रहा है और इस संबंध में पत्र लिख कर सूचित भी किया गया था लेकिन कोई जवाब नही मिला। वहीँ राजद की तरफ से ये कहा गया कि उन्हें किसी पत्र की कोई जानकारी नहीं है। एआईएमआईएम के नेता ने कहा कि ऐसे हालात में उन्होंने खुद तेजस्वी यादव के घर पहुंच कर उनकी पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने का प्रस्ताव रखने की कोशिश की, लेकिन उन्हें राबडी आवास से खाली हाथ लौटना पड़ा।
ईमान ने कहा कि उन्होंने यादव को एक पत्र भी सौंपा, जिसमे लिखा कि आगामी विधानसभा चुनाव में सेक्युलर वोटों के बिखराव को रोक कर साम्प्रदायिक शक्तियों को पराजित करने के लिए उनकी पार्टी ने इसी वर्ष दो जुलाई को एक पत्र लिखकर महा गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जतायी थी और इसकी प्रति गठबंधन घटक दल के सभी नेताओं को भी दी गयी थी, लेकिन अबतक उसका कोई जवाब नहीं मिल सका है। एआईएमआईएम ने नेता ने कहा कि बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष को दिए पत्र में उनकी पार्टी ने समर्थन के बदले कुछ विशेष मांग का भी जिक्र किया था और लिखा था कि कम से कम 6 विधानसभा क्षेत्रों को उनके लिए सुरक्षित किया जाय। सरकार बनने पर सीमांचल डेवलपमेंट काउंसिल बनाकर सीमांचल को विशेष पैकेज दिया जाए और बिहार में दलित, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों को उनके आबादी के अनुपात में सभी स्तरों पर भागीदारी दी जाए।
ईमान ने पत्र में आगे लिखा है कि खेद का विषय है कि राजद के नेता ने प्रस्ताव पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया उल्टे हमारे सकारात्मक पहल पर नकारात्मक एवं हास्यास्पद टिप्पणी करते हुए हमें चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दे डाली । हमारी उदारता को हमारी कमजोरी समझा और हद यह है कि आपने हमारे पत्र का औपचारिक तौर पर जबाब देना जरूरी नहीं समझा। ईमान ने राबडी आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद को बहुमत नहीं मिल पाया था और उस समय लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय नेता रामविलास पासवान ने अपने 29 जीते हुए विधायकों के साथ सशर्त समर्थन देने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें कहा गया था कि समर्थन के बदले राजद अपनी पार्टी के ही किसी मुस्लिम विधायक को मुख्यमंत्री बनाये। उन्होंने कहा कि तब राजद ने इस प्रस्ताव को ठुकराकर बिहार में भाजपा की सरकार बनवा दी थी।
एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज फिर से बिहार की राजनीतिक स्थिति 2005 की ही तरह ही है। ऐसे समय में महा गठबंधन का उनकी पार्टी के प्रस्ताव को ठुकरा देना मुस्लिम प्रतिनिधित्व के प्रति विरोध का प्रतीक है, जबकि वास्तविकता यह है कि राजद की बुनियाद ही मुस्लिम यादव (एमवाई) समीकरण पर खड़ी है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को अलग चुनाव लड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया है और ऐसी स्थिति में अगर सेक्युलर बोटों का बिखराव होता है राजद के नेता इसके लिए जिम्मेवार होंगे।
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Fri, Sep 12 , 2025, 08:45 AM