बीमारियों की बात करें तो मानसून का मौसम मच्छरों से होने वाली और भी कई बीमारियाँ लेकर आता है। इन्हीं में से एक है डेंगू (Dengue) । यह बीमारी एक वायरल संक्रमण है जो एडीज़ मच्छरों (Mosquitoes) के काटने से फैलता है। बारिश और गंदे पानी में पनपने वाले ये मच्छर इंसानों को संक्रमित करते हैं। इस बीमारी के लक्षण मानसून के मौसम में सबसे ज़्यादा देखने को मिलते हैं।
डेंगू के लक्षण
तेज़ बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, प्लेटलेट्स की कमी और कमज़ोरी डेंगू के आम लक्षण हैं। इस बीमारी में प्लेटलेट्स तेज़ी से कम हो जाती हैं। गंभीर मामलों में मरीज़ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। हालाँकि, उचित इलाज के बाद मरीज़ ठीक हो जाता है, लेकिन इसका असर लंबे समय तक रहता है। कई बार डेंगू से पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि डेंगू ठीक होने के बाद भी यह मन और शरीर पर असर डालता है। आइए जानें कैसे।
डेंगू के बाद मरीजों में होने वाली समस्याएं
डेंगू के बाद मरीजों में मानसिक समस्याओं के सबसे आम लक्षण लगातार थकान और ऊर्जा की कमी हैं, जिसके कारण व्यक्ति अपने छोटे-मोटे कामों में भी रुचि खोने लगता है। कुछ लोगों को अनिद्रा या बार-बार नींद न आने की समस्या होती है। डेंगू के बाद मानसिक बेचैनी, तनाव और चिंता जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक उपचार की भी आवश्यकता होती है
कई मरीजों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, जिसका असर उनकी पढ़ाई या काम पर पड़ता है। इसके अलावा, चिड़चिड़ापन, उदासी और अवसाद जैसे लक्षण भी देखे गए हैं। शरीर में लगातार दर्द और कमजोरी मानसिक स्थिति को और खराब कर देती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर मरीज को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक उपचार की भी आवश्यकता होती है।
डेंगू के बाद मानसिक बीमारी के कारण
आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ. सुभाष गिरी बताते हैं कि डेंगू के बाद मानसिक बीमारी कई कारणों से हो सकती है। सबसे पहले, यह बीमारी लंबे समय तक शरीर को कमजोर कर देती है। लगातार थकान और दर्द मरीज के दिमाग पर बुरा असर डालता है। दूसरा कारण अस्पताल में भर्ती होने का अनुभव है, जहाँ मरीज अक्सर डर, चिंता और तनाव से गुजरता है। अक्सर, प्लेटलेट्स कम होने या आईसीयू में भर्ती होने का अनुभव मन पर गहरा असर डालता है। इसके अलावा, डेंगू के दौरान शरीर की असंतुलित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
आईसीयू का डर
कुछ मरीज़ों में डेंगू के बाद मानसिक समस्याएँ होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। उदाहरण के लिए, जिन मरीज़ों का डेंगू जल्दी ठीक होने की स्थिति में नहीं होता, उन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ता है। उसके बाद, मरीज़ के ठीक होने के बाद भी, वह डर जल्दी दूर नहीं होता। इसलिए, यह मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
डेंगू से ठीक होने के बाद खुद को इन विचारों से कैसे बाहर निकालें?
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Sun, Sep 07 , 2025, 01:25 PM