शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (Thakur Sukhvinder Singh Sukhu) ने केंद्र से हाल की आपदाओं से विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए विशेष राहत पैकेज और वन भूमि आवंटन की अपील की है। साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य वर्तमान में अपने सीमित संसाधनों से राहत और पुनर्वास कार्यों का प्रबंधन कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कुल्लू ज़िले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया तथा अचानक आई बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन किया। उन्होंने प्रभावित परिवारों से बातचीत की और उन्हें पूरी सरकारी सहायता का आश्वासन दिया। शिमला के जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डे से वायुसेना के हेलीकॉप्टर से यात्रा करते हुए, सुक्खू वितरण के लिए राशन और आवश्यक सामग्री भी साथ ले गए। इस दौरान उन्होंने वशिष्ठ चौक, मनाली, बहांग और ओल्ड मनाली में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों तथा निजी संपत्तियों का निरीक्षण किया। कुल्लू के अखाड़ा बाज़ार में, जहाँ भूस्खलन में कई घर दब गए और कई लोगों की जान चली गई।
सुक्खू ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने क्षतिग्रस्त भूतनाथ और भुंतर पुलों का भी जायजा लिया और बीआरओ के इंजीनियरों को जल्द से जल्द संपर्क बहाल करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल मानसून ने हिमाचल प्रदेश में अभूतपूर्व तबाही मचाई है, पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर संभव सहायता प्रदान कर रही है और जिला प्रशासन को राहत उपायों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
सुक्खू ने कहा कि चंबा में मणिमहेश यात्रा के दौरान फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए सेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं। कुल 605 श्रद्धालुओं को भरमौर से चंबा हवाई मार्ग से लाया गया और फिर एचआरटीसी बसों से उनके घरों तक निःशुल्क पहुँचाया गया। खराब मौसम और सड़क की स्थिति को देखते हुए सरकार ने राज्य में होने वाली सभी परीक्षाओं को रद्द करने का भी फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों और बागवानों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों से अपनी उपज बाज़ारों तक पहुँचाने में सहायता प्रदान की जाएगी।
सड़कें, बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करना सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। जिन परिवारों के घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, उन्हें 7.70 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, साथ ही पशुधन के नुकसान के लिए भी मुआवज़ा दिया जा रहा है। सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार को पुनर्वास के लिए प्रत्येक प्रभावित परिवार को एक बीघा वन भूमि आवंटित करने की मंज़ूरी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की 68 प्रतिशत भूमि वन श्रेणी में आती है और केंद्र की मंज़ूरी के बिना आवंटित नहीं की जा सकती।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों से इस माँग को आगे बढ़ाने और हिमाचल के लिए एक विशेष राहत पैकेज सुनिश्चित करने का आग्रह किया। भाजपा नेताओं द्वारा खुद को सोशल मीडिया तक सीमित रखने की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता ज़मीनी स्तर पर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि राज्य ने दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए विश्व बैंक से सहायता प्राप्त करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की है। इससे पहले सुक्खू ने कुल्लू और मंडी ज़िलों के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया।
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Sat, Sep 06 , 2025, 07:18 AM