Junk Food Ill Effects: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड की लत लग सकती है, डॉक्टरों से जानें खुद को बचाने के 7 टिप्स!

Wed, Sep 03 , 2025, 09:50 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Junk Food Ill Effects: धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह बात सभी जानते हैं। इसलिए सिगरेट के पैकेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में चेतावनी लिखी होती है। फिर भी, कई लोग खुद को कश लेने से नहीं रोक पाते। इसकी वजह आदत है, जो धीरे-धीरे लत बन जाती है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड भी ऐसी ही एक लत है।

ज़्यादातर लोग मानते हैं कि मसालेदार स्नैक्स, फ़ास्ट फ़ूड और पैकेज्ड जंक फ़ूड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ये मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। लेकिन जब चिप्स, बर्गर या कोल्ड ड्रिंक आपके सामने हों, तो खुद को रोकना आसान नहीं होता। इसके पीछे असली वजह यह है कि जंक फ़ूड का दिमाग पर भी लत लगने वाला असर होता है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड की लत लग सकती है। अध्ययन में कहा गया है कि इनकी लत शराब और तंबाकू जैसी ही होती है।

जंक फ़ूड खाने के बाद हमें इतना अच्छा क्यों लगता है?
बहुत से लोग सोचते हैं कि बार-बार जंक फ़ूड खाने की आदत सिर्फ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, जब हम चिप्स, पिज़्ज़ा, नूडल्स या सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीज़ें खाते हैं, तो हमारे दिमाग में 'डोपामाइन' नाम का एक 'अच्छा महसूस कराने वाला' रसायन निकलता है। डोपामाइन हमें खुश करता है। यही वजह है कि जंक फ़ूड खाने के बाद हमें अच्छा लगता है और हम उसे दोबारा खाना चाहते हैं।

वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ श्वेता शर्मा कहती हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड में फ्लेवर और केमिकल मिलाए जाते हैं, जो उन्हें बेहद स्वादिष्ट बनाते हैं। ये दिमाग को उत्तेजित करते हैं और डोपामाइन के स्तर को बढ़ाते हैं। यही वजह है कि बार-बार खाने की इच्छा होती है और इसे रोकना मुश्किल होता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड की लत धूम्रपान जैसी क्यों होती है?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड मस्तिष्क के रिवॉर्ड सिस्टम को उसी तरह सक्रिय करते हैं जैसे धूम्रपान या ड्रग्स। यही वजह है कि हम बार-बार चिप्स, बर्गर, मिठाई या तले हुए खाद्य पदार्थ खाना चाहते हैं।

वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ श्वेता शर्मा कहती हैं कि समस्या तब और बढ़ जाती है जब हम सिर्फ़ भूख मिटाने के लिए नहीं, बल्कि तनाव कम करने या अपना मूड बदलने के लिए जंक फ़ूड खाने लगते हैं। धीरे-धीरे यह आदत लत में बदल सकती है और धूम्रपान की तरह इससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है।

कैसे पहचानें कि किसी को जंक फ़ूड की लत लग गई है?
वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ श्वेता शर्मा कहती हैं कि अगर कोई व्यक्ति बार-बार तैलीय, तला हुआ या पैकेज्ड खाना माँगता है, घर का बना खाना पसंद नहीं करता या भूख न होने पर भी चिप्स, पिज़्ज़ा, बर्गर जैसे खाने का मन करता है, तो ये जंक फ़ूड की लत के लक्षण हैं। अगर समय रहते इन आदतों को नहीं छोड़ा गया, तो भविष्य में मोटापा, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

क्या जंक फ़ूड दिमाग को भी प्रभावित करता है?
जी हाँ, जंक फ़ूड शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी नुकसान पहुँचाता है। इसमें चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है। ऑस्ट्रेलिया की आरएमआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि सिर्फ़ 5 दिन तक मीठे पेय, केक और कुकीज़ जैसी चीज़ें खाने से मस्तिष्क के उस हिस्से में सूजन आ सकती है जो भूख को नियंत्रित करता है। जब यह हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो व्यक्ति का पेट भर जाने के बाद भी बार-बार खाने का मन करता है। इसे न्यूरोइन्फ्लेमेशन कहते हैं।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने की आदत कैसे छोड़ें?

वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ श्वेता शर्मा कहती हैं कि अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की लत छोड़ना आसान नहीं है, लेकिन थोड़ी समझदारी और उचित योजना से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए सबसे ज़रूरी है इच्छाशक्ति, यानी खुद पर नियंत्रण रखने की शक्ति। जंक फ़ूड की जगह धीरे-धीरे फल, सलाद या मेवे जैसे हेल्दी स्नैक्स शामिल करें। साथ ही, बाहर जाते समय अपने साथ हेल्दी विकल्प रखें। छोटे-छोटे बदलाव करके आदतें बदली जा सकती हैं।

क्या बच्चों को भी जंक फ़ूड की लत लग सकती है?
जी हाँ, बच्चों का शरीर और दिमाग अभी विकास की अवस्था में होता है, इसलिए वे स्वादिष्ट और रंग-बिरंगे खाद्य पदार्थों की ओर जल्दी आकर्षित होते हैं। उन्हें चीनी, नमक और स्वाद से भरपूर जंक फ़ूड और भी जल्दी पसंद आने लगता है। अगर बच्चों को बार-बार पैकेज्ड स्नैक्स, चॉकलेट या तले हुए खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, तो वे धीरे-धीरे जंक फ़ूड के आदी हो सकते हैं।

क्या जंक फ़ूड से पूरी तरह परहेज़ कर देना चाहिए?
जंक फ़ूड से पूरी तरह परहेज़ करना ज़रूरी नहीं है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में खाना बेहतर है। ख़तरा तब पैदा होता है जब इसे रोज़ाना या ज़्यादा मात्रा में खाया जाए। आप चाहें तो यह नियम बना सकते हैं कि जंक फ़ूड हफ़्ते में सिर्फ़ एक बार और कम मात्रा में खाएँ। इससे आपकी स्वाद कलिकाएँ भी संतुष्ट रहेंगी और आपके स्वास्थ्य पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups