मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनरत मनोज जरांगे और उनके प्रदर्शनकारियों को बुधवार दोपहर तीन बजे तक शहर खाली करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो सख्त परिणाम भुगतने होंगे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने प्रदर्शनकारियों और राज्य सरकार, दोनों की कड़ी आलोचना करते हुए अदालत की अवमानना का मामला शुरू करने और जुर्माना लगाने सहित कठोर कार्रवाई करने की चेतावनी दी।
जरांगे के वकील सतीश मानेशिंदे ने कुछ प्रदर्शनकारियों के दुर्व्यवहार के लिए अदालत से माफ़ी मांगी। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल जरांगे का कानून-व्यवस्था बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने तर्क दिया, "मुंबई यात्रा एक महीने पहले से तय थी, फिर भी कोई सुविधा नहीं मिली। जो लोग यहां आए थे, वे उपद्रव के इरादे से नहीं आए। उनके 500 वाहनों के लिए जगह तक नहीं दी गई।" अदालत ने सवाल किया कि प्रदर्शनकारियों की संख्या हज़ारों में कैसे पहुंच गई। अदालत ने पूछा, "जब ज़्यादा लोग आए, तो आपने सभा को पांच हजार तक सीमित रखने के लिए क्या कदम उठाए? क्या आपके पास उपस्थित लोगों की सूची थी? जब एक लाख लोग मुंबई में उमड़ पड़े, तो आपने क्या किया?"
इस पर मानेशिंदे ने जवाब दिया कि उन्होंने मीडिया के ज़रिए अपील की और अदालत को आश्वासन दिया था कि वह भविष्य में उपस्थित लोगों की सूची तैयार करेंगे। लेकिन उनके जवाब से पीठ संतुष्ट नहीं हुई।अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा, "दोपहर तीन बजे के बाद हम किसी को भी रुकने नहीं देंगे। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है।" अदालत ने सामान्य स्थिति की तुरंत बहाली का आदेश देते हुए कहा कि राज्य और जरांगे, दोनों प्रदर्शनकारियों को शहर से बाहर निकालना सुनिश्चित करें।
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Wed, Sep 03 , 2025, 08:29 AM