Guru Premanand Maharaj: आम लोगों से लेकर मशहूर हस्तियों तक, सभी लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने आते हैं। उनका आशीर्वाद भी लेते हैं और उनसे कई तरह की सलाह भी लेते हैं। देशभर में प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के भक्त हैं। और उनकी चर्चा देश ही नहीं, विदेशों में भी होती है। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या प्रेमानंद महाराज के पास संपत्ति है? या वे कहाँ रहते हैं, क्या उनके पास कार है या एक बहुत ही साधारण सा सवाल कि प्रेमानंद महाराज कौन सा फ़ोन इस्तेमाल करते हैं(phone does Premanand Maharaj use)। आइए इन सभी सवालों के जवाब जानें।
प्रेमानंद महाराज की कुल संपत्ति कितनी है?
अपनी सादगी के लिए मशहूर प्रेमानंद महाराज के वीडियो आपने सोशल मीडिया पर कई बार देखे होंगे। उन वीडियो में आपने उन्हें कभी पैदल तो कभी कार से जाते देखा होगा, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी कुल संपत्ति को लेकर कई सवाल सर्च किए जाते हैं। अपनी संपत्ति के बारे में एक बार खुद प्रेमानंद महाराज ने कहा था कि उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है। न ही उनका कोई बैंक खाता है। वह एक संत का जीवन जीते हैं और उनके नाम पर घर, ज़मीन या कोई भी संपत्ति नहीं है।
क्या प्रेमानंद महाराज के पास कार है?
प्रेमानंद महाराज के पास निजी कार नहीं है, हालाँकि उन्हें अक्सर ऑडी कार में घूमते देखा जाता है, लेकिन यह उनकी अपनी कार नहीं, बल्कि उनके सेवकों की कार होती है। इसलिए अगर उन्हें कहीं जाना होता है, तो वह अपने किसी सेवक की कार में यात्रा करते हैं।
प्रेमानंद महाराज कौन सा फ़ोन इस्तेमाल करते हैं?
यह एक ऐसा सवाल है जो बहुत से लोगों के मन में आता है। यानी प्रेमानंद महाराज कौन सा फ़ोन इस्तेमाल करते हैं? लेकिन असल में, महाराज मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करते। न ही उन्हें फ़ोन चलाना आता है। उनका जीवन पूरी तरह से त्याग और साधना को समर्पित है। वे भौतिक संपदा से परे जीवन जीते हैं। उनके पास न तो कोई बैंक खाता है और न ही किसी प्रकार की निजी संपत्ति। वे पूरी तरह से तपस्वी जीवन जीते हैं, जिसमें भौतिक चीज़ों का कोई स्थान नहीं है।
प्रेमानंद महाराज का असली नाम क्या है?
प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अंतिम गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रमा देवी है। प्रेमानंदजी ने पाँचवीं कक्षा से ही गीता पढ़ना शुरू कर दिया था, जिससे उनका झुकाव धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर हुआ। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का निर्णय लिया और संन्यास जीवन जीने के लिए घर छोड़ दिया। तब से वे इसी जीवन को जी रहे हैं।
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Tue, Sep 02 , 2025, 06:14 PM