मुंबई। दावणगेरे शुगर कंपनी लिमिटेड (Davanagere Sugar Company Limited) (डीएससीएल) (NSE: DAVANGERE, BSE: 543267) एक परिवर्तनकारी विकास चरण की तैयारी कर रही है, जिसमें अनुकूल सरकारी नीति (government policy), बढ़ती इथेनॉल की मांग (ethanol demand) और गहरी किसान भागीदारी का लाभ उठाया जा रहा है, क्योंकि भारत स्वच्छ ईंधन और ग्रामीण औद्योगिकीकरण की ओर अपनी गति तेज कर रहा है। डीएससीएल (DSCL) कर्नाटक स्थित एक पचास वर्ष पुरानी कंपनी, साखर, इथेनॉल और अक्षय ऊर्जा में पूर्ण रूप से एकीकृत भूमिका निभाने वाली कंपनी के रूप में उभरी है। यह भारत की विकसित होती जैव-अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार है, जिसमें क्षमता विस्तार, विविध कच्चे माल की खरीद और मजबूत किसान सहभागिता जैसी सुव्यवस्थित रणनीतियाँ शामिल हैं। इथेनॉल और CO₂ पुनः प्राप्ति में रणनीतिक क्षमता विस्तार डीएससीएल की वर्तमान विकास रणनीति उसकी इथेनॉल उत्पादन क्षमता के तेज विस्तार पर आधारित है, जिसे भारत के इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) और सरकार की स्वच्छ ईंधन के प्रति मजबूत नीतिगत प्रोत्साहन का समर्थन प्राप्त है।
ईबीपी को गति मिलते ही, डीएससीएल अपनी वर्तमान 65 केएलपीडी (किलो लीटर प्रति दिन) इथेनॉल क्षमता को वित्तीय वर्ष 2026 के भीतर 85 केएलपीडी तक बढ़ाने के लिए तैयार है, साथ ही 110 केएलपीडी तक पहुंचने की आगे की विस्तार योजना है, जिसमें 35 TPD CO₂ पुनर्प्राप्ति संयंत्र भी शामिल है। ये निवेश डीएससीएल को सरकार की इथेनॉल नीति और रोडमैप के साथ संरेखित करते हैं और कंपनी को अतिरिक्त राजस्व स्रोत प्रदान करते हैं। सतत कच्चे माल की आपूर्ति और पूरे साल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए, कंपनी टूटी हुई चावल और मक्का को खरीद में शामिल कर विविधता लाने की योजना बना रही है, जिससे न केवल अपनी कच्ची सामग्री की आवश्यकताएं पूरी होंगी, बल्कि धान्य व्यापार के क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा — जो नए राजस्व स्रोतों को खोलने के लिए एक रणनीतिक कदम है।
किसानों को सशक्त बनाना, गन्ने की खेती का विस्तार करना
अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और ग्रामीण सहभागिता को गहरा करने के प्रयास में, डीएससीएल गन्ने की खेती में भी एक बड़ा अभियान शुरू कर रही है। कंपनी इस वर्ष ही गन्ने की खेती को 15,000 एकड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
इस रणनीति की कुंजी शेतकऱ्य-केंद्रित पहलों का एक पैकेज है
● यांत्रिक कटाई प्रणाली जिससे मजदूरी लागत कम हो और खेत की उत्पादकता बढ़े।
● सुव्यवस्थित गन्ना परिवहन समाधान ताकि लॉजिस्टिक्स सरल हो और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित हो।
● सब्सिडी और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन योजनाएं ताकि किसानों को पुरस्कृत किया जा सके और उनकी आय बढ़े।
इन प्रयासों से आने वाले वर्षों में डीएससीएल को लगातार 5 लाख मीट्रिक टन से अधिक गन्ना क्रशिंग करने में मदद मिलने की उम्मीद है, जिससे उसकी साखर, इथेनॉल और विद्युत व्यवसायों में गुणाकार प्रभाव पैदा होगा। दावणगेरे शुगर कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री गणेश शिवशंकरप्पा शामानूर ने व्यक्त किया, “दावणगेरे शुगर अपनी विकास यात्रा के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। इथेनॉल के विस्तार, आक्रामक अनाज खरीद, गन्ने की खेती में वृद्धि और किसान-केंद्रित पहलों के साथ, हम एक मजबूत विकास मॉडल बना रहे हैं जो राजस्व, लाभप्रदता और दीर्घकालिक शेयरधारक मूल्य को सुदृढ़ करता है।”कंपनी के शून्य-कचरा, पूर्णतया एकीकृत संचालन यह सुनिश्चित करते हैं कि गन्ने से लेकर अनाज तक हर संसाधन का अधिकतम उपयोग हो, जो पर्यावरणीय स्थिरता और ग्रामीण समृद्धि दोनों में योगदान देता है।”
परिवर्तनशील ऊर्जा क्षेत्र में अच्छी स्थिति में
जैसे-जैसे भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित ईंधन के अपनाने को तेज करता है, डीएससीएल का इथेनॉल और अक्षय ऊर्जा में विविधीकरण राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है। अनुकूल नीतिगत वातावरण और बढ़ती मांग, विशेष रूप से जैव ईंधन क्षेत्र में, डीएससीएल को नई बाजार संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए रणनीतिक रूप से सशक्त बनाते हैं, साथ ही यह ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
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