Court Maratha agitation: मराठा आरक्षण आंदोलनकारी दो सितंबर तक आज़ाद मैदान को छोड़कर बाकी सड़कें खाली करेंः बॉम्बे हाईकोर्ट

Mon, Sep 01 , 2025, 10:36 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि मराठा आरक्षण आंदोलनकारी (Maratha reservation agitators) आज़ाद मैदान के अलावा शहर में कहीं भी इकट्ठा न हों। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की विशेष पीठ ने एमी फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। याचिका में जरांगे और उनके अनुयायियों के खिलाफ अदालती आदेश और सार्वजनिक समारोहों तथा आंदोलनों के नियमन संबंधी नए नियमों का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी।

न्यायालय ने आदेश में कहा , “प्रतिवादी 5, 6 और 07 (श्री जरांगे, आयोजक वीरेंद्र पवार (Virendra Pawar) और उनका संघ) ने भी प्रथमदृष्टया उन्हें दी गई अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया है और चूँकि उनके पास विरोध प्रदर्शन जारी रखने की कोई वैध अनुमति नहीं है, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार 26 अगस्त के आदेश और नियम 2025 के अनुसार उचित कदम उठाकर कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगी।” न्यायालय ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनके प्रदर्शनकारियों ने प्रथम दृष्टया शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन (protest) के लिए दी गयी अनुमति का उल्लंघन किया है और शहर में व्यवधान डाला है। न्यायालय ने उन्हें मंगलवार अपराह्न तक सड़कें खाली करने का समय दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मुंबई के बाहर से आने वाले प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश करने से पहले ही रोक दे।

मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी। गौरतलब है कि राठा आरक्षण की मांग को लेकर श्री मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में पूरे महाराष्ट्र से हजारों प्रदर्शनकारी मुंबई में एकत्रित हुए हैं। उनमें से अधिकांश आज़ाद मैदान में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने आज़ाद मैदान के चारों ओर सड़क पर अपने वाहन खड़े कर दिए हैं और आस-पास की सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील गुणवंत सदावर्ते ने अदालत से न्यायिक हस्तक्षेप का आग्रह किया क्योंकि आंदोलन ने शहर को पंगु बना दिया है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) एक संवेदनशील क्षेत्र है, जिसमें चार प्रमुख अस्पताल, उच्च न्यायालय और कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी इलाके में खुलेआम घूम रहे थे और लोकल ट्रेन के सभी डिब्बों में जबरन घुस रहे थे उन्होंने यह भी दावा किया कि अंतरवाली सराय में महिला पुलिसकर्मियों और मुंबई में महिलाओं को आंदोलन के दौरान दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।

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