Cancer in India : दुनिया भर में कैंसर के मामलों (cancer cases) पर नज़र डालें तो भारत दूसरे स्थान पर है। चीन पहले स्थान पर है। इस देश में बड़ी आबादी होने के कारण कैंसर के मामले भी ज़्यादा पाए जा रहे हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के ग्लोबोकैन के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कैंसर के 14 लाख मामले सामने आए हैं। जबकि 9 लाख लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी है। आइए जानते हैं कि भारत में कैंसर के मामले ज़्यादा क्यों हैं...
कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए कुछ दिन पहले किए गए एक शोध में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। 20 अगस्त को जावा नेटवर्क की एक रिपोर्ट सामने आई। इसका अनुमान है कि भारत में हर दसवाँ व्यक्ति कैंसर से पीड़ित है। यानी 11 प्रतिशत आबादी इस जानलेवा बीमारी से जूझ रही है। यह शोध नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इन्वेस्टिगेटर ग्रुप द्वारा किया गया था।
इस अध्ययन में सात लाख से ज़्यादा कैंसर के मामलों (cancer cases) पर शोध किया गया। इसमें 2 लाख ऐसे मामलों का अध्ययन किया गया जिनमें मौत हुई। इन आंकड़ों को देखते हुए, कैंसर अब सिर्फ़ एक समस्या नहीं, बल्कि एक बड़ी चुनौती बन गया है।
कौन से राज्य हैं प्रभावित
मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल कैंसर के मामले में सबसे ज़्यादा प्रभावित है। यहाँ हर एक लाख पुरुषों में से 256 पुरुषों में कैंसर पाया गया है। जबकि हर एक लाख महिलाओं में से 217 महिलाओं में कैंसर पाया गया है।
उत्तर पूर्व भारत के 6 ज़िलों में कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले पाए गए हैं। इसके अलावा, कश्मीर घाटी और केरल में कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले पाए जाते हैं। हैदराबाद में हर एक लाख महिलाओं में से 154 महिलाएँ कैंसर की मरीज़ हैं। स्तन कैंसर और मुख कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा हैं।
देश के उत्तर पूर्व में दो तरह के कैंसर ज़्यादा पाए जाते हैं। पहला है एसोफैजियल कैंसर, जो भोजन नली में होने वाला कैंसर है। दूसरा है पेट का कैंसर। बड़े शहरों में स्तन कैंसर और मुख कैंसर के मामले ज़्यादा हैं। गाँवों में सर्वाइकल कैंसर ज़्यादा आम है।
दिल्ली की स्थिति चिंताजनक
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण, बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों और जाँच की कमी के कारण कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। दिल्ली के युवाओं में रक्त कैंसर (acute myeloid leukemia) के मामले बढ़ रहे हैं।
3,000 नए मामले
पिछले एक साल में, दिल्ली में रक्त कैंसर के लगभग 3,000 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 30 से 40 वर्ष की आयु के लोगों में इनकी दर चिंताजनक है। कैंसर अब न केवल बुजुर्गों, बल्कि युवाओं को भी निशाना बना रहा है। प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर भी बढ़ रहा है।
बढ़ती जनसंख्या, बुजुर्गों की संख्या, खान-पान और जीवनशैली, प्रदूषण के कारण कैंसर की दर में वृद्धि हुई है। समय पर निदान और उपचार न मिलने के कारण यह दर बढ़ी है। अनुमान है कि देश में लगभग 11 प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में कैंसर का खतरा है। यदि आप अपने आहार, पर्यावरण, निदान और उपचार, और जीवनशैली में सुधार करें तो इस खतरे को रोका जा सकता है।
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Mon, Sep 01 , 2025, 08:45 PM