Blood clot in the heart : दिल में खून के थक्के क्यों बनते हैं? शुरुआती लक्षण क्या हैं? पढ़ें!

Mon, Sep 01 , 2025, 07:41 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Blood Clot Symptoms: रक्त का थक्का एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रक्त गाढ़ा होकर जमा होने लगता है। जिन लोगों को झुनझुनी, सुन्नता या दर्द का अनुभव होता है, उनमें रक्त के थक्के बनने की संभावना अधिक होती है। यह समस्या अक्सर पैरों की रक्त वाहिकाओं में देखी जाती है, लेकिन कई कारणों से यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकती है। हृदय में रक्त का थक्का बनने से हृदय गति रुकने या दिल का दौरा (heart attack) पड़ने जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।

हृदय में रक्त का थक्का बनने की स्थिति बहुत ही दुर्लभ है। यह समस्या बहुत कम लोगों में देखी जाती है। इस स्थिति में, हृदय गति रुकने का कारण थक्का बनने से रक्त का सामान्य प्रवाह रुक जाता है और हृदय तक कम ऑक्सीजन पहुँचती है। यही कारण है कि रक्त के थक्के हृदयाघात और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये थक्के क्यों बनते हैं और इसके शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचाना जाए?

खान-पान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली

डॉ. वरुण बंसल (Dr. Varun Bansal) कहते हैं कि खराब खान-पान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली रक्त के थक्के बनने के सबसे बड़े कारण हैं। ज़्यादा तेल-मसाले, जंक फ़ूड और मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है और रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर वसा जमा होने लगती है। धीरे-धीरे रक्त प्रवाह बाधित होने लगता है और थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, धूम्रपान और शराब पीने से भी रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे रक्त आसानी से जम जाता है।

शरीर को निष्क्रिय रखना

लंबे समय तक बैठे-बैठे काम करने या शरीर को निष्क्रिय रखने से भी रक्त संचार धीमा हो जाता है। इससे रक्त वाहिकाओं में रक्त अटक सकता है और थक्के बन सकते हैं। इसके अलावा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हार्मोनल असंतुलन और हृदय रोग जैसी बीमारियाँ भी रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ा देती हैं। निर्जलीकरण यानी शरीर में पानी की कमी से भी रक्त गाढ़ा हो जाता है और इससे थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है।

रक्त के थक्के के लक्षण क्या हैं?

डॉ. वरुण कहते हैं कि जब हृदय में रक्त का थक्का बनता है, तो शरीर कई संकेत देता है, जिन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। सबसे आम लक्षण सीने में दर्द या दबाव है। अचानक सीने में दर्द, भारीपन या जकड़न महसूस होना रक्त के थक्के के लक्षण हो सकते हैं। अन्य लक्षणों में साँस लेने में तकलीफ, थकान या हल्का परिश्रम करने पर भी साँस लेने में कठिनाई शामिल है।

हृदय में थक्के के गंभीर लक्षण

अनियमित धड़कन, काम न करते हुए भी थकान महसूस होना और अचानक ठंडा पसीना आना भी हृदय में रक्त के थक्के के लक्षण हो सकते हैं। कभी-कभी रोगी को चक्कर आ सकता है या बेहोशी आ सकती है, क्योंकि रक्त का थक्का मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम कर देता है। यदि थक्का पैरों की रक्त वाहिकाओं में है और हृदय की ओर बढ़ रहा है, तो पैरों में दर्द या सूजन भी देखी जा सकती है।

यदि इनमें से कोई भी लक्षण बार-बार दिखाई दे, तो इसे हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर से जाँच करवाएँ, क्योंकि ये हृदय में रक्त के थक्के के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। समय पर उपचार से गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है। हृदय में रक्त के थक्के बनना कोई आम समस्या नहीं है।

आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

असंतुलित खान-पान, धूम्रपान, मोटापा और अन्य बीमारियाँ इसके प्रमुख कारण हैं। समय पर इसके लक्षणों को पहचानना और डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी और तनाव से दूर रहने से हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।

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