होशियारपुर। पंजाब में होशियारपुर जिले के टांडा उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) परमप्रीत सिंह (Parampreet Singh) ने बुधवार को बताया कि सुबह ब्यास नदी (Beas river) की तेज धारा में बह गये 58 वर्षीय ग्रामीण का शव दोपहर में बरामद कर लिया गया। उन्होंने मृतक की पहचान जलालपुर गांव के जरनैल सिंह उर्फ जैला के रूप में की, जो वर्तमान में रारा गांव में रहते हैं और बाढ़ के पानी में डूबे अपने खेतों में गये थे।
एसडीएम ने कहा, “ उन्होंने साथी ग्रामीणों की चेतावनी के बावजूद पानी में डूबे खेतों में मछली पकड़ने का जाल डाला था। दुर्भाग्य से, वह बह गए। उन्हें खोजने के लिए एक बचाव दल तैनात किया गया था, और दोपहर में उनका शव बरामद किया गया। प्रशासन ने भी बार-बार चेतावनी जारी कर लोगों से बाढ़ वाली नदी या अपने डूबे हुए खेतों की ओर न जाने की अपील की है।”
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार सुबह बांध का जलस्तर 1,393 फुट दर्ज किया गया और इसमें लगभग 1.62 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ। शाह नहर बैराज में लगभग 94,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे निचले इलाकों के गांवों को अलर्ट पर रखा गया है। उपायुक्त आशिका जैन ने बताया कि जिले के 44 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं - मुकेरियां उपमंडल में 20, टांडा में 13, दसूया में 4 और होशियारपुर में 7। उन्होंने बताया कि 12 राहत शिविर स्थापित किये गये हैं, जिनमें टांडा में तीन, मुकेरियां में आठ और दसूया में एक शिविर शामिल है। टांडा शिविरों में 646 लोगों ने शरण ली है।
डीसी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पीने का पानी, फिल्टर, सैनिटेशन किट, दवाइयां, तिरपाल, गद्दे, मच्छर भगाने वाली दवाइयां और जाल समेत ज़रूरी राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। ज़िले में लगभग 8,758 एकड़ कृषि भूमि बाढ़ के पानी में डूबी है, जिसमें मुकेरियां में 5,500 एकड़, टांडा में 3,000 एकड़, दसूया में 256 एकड़ और होशियारपुर उपमंडल में लगभग 18 कनाल ज़मीन शामिल है। टांडा उपमंडल के गंधोवाल, रारा मंड, तल्ही, सलेमपुर, अब्दुल्लापुर, मेवा मिआनी और फत्ता कुल्ला में खड़ी धान, गन्ना और अन्य फसलें, साथ ही मुकेरियां उपमंडल के मोतला, हलेर जनार्दन, सनियाल, कोलियान और मेहताबपुर जलमग्न हो गए।सुबह कुछ देर पानी कम होने के बाद, नदी फिर से उफान पर आ गई, जिससे ग्रामीणों में चिंता बढ़ गई। उन्हें डर है कि पहले से ही बाढ़ के पानी में डूबी उनकी खड़ी फसलें नष्ट हो सकती हैं और उन्होंने सरकार से उचित मुआवज़ा देने की मांग की है।
हलेर जनार्दन में, लगभग तीन-चौथाई निवासी सुरक्षित स्थानों पर चले गये हैं। गांव की सरपंच के पति सुलिंदर ने कहा, “कल हमारे घर दो फुट पानी में डूबे हुए थे। आज गांव से पानी कम हो गया है, लेकिन खेत अभी भी डूबे हुये हैं। अब सबसे बड़ी चिंता हमारे मवेशियों के चारे की है।” कोलियान में अभी भी पानी भरा हुआ है, कई घरों में घुटनों तक पानी भरा हुआ है। गांव की सरपंच के पति डेविड मसीह ने कहा, “हमारे आधे लोग चले गये हैं। जो लोग यहीं रह गये हैं, उन्हें डर है कि अगर वे अपने घर छोड़ेंगे तो चोरी हो जाएगी।”
मंजपुर और जहानपुर के आस-पास के गुरुद्वारे विस्थापितों के लिए दिन में तीन बार खाना बना रहे हैं।मोटला में पानी गांव में तो नहीं घुसा, लेकिन आसपास के खेतों में पानी भर गया। ग्रामीणों ने बताया कि कल आये बाढ़ के पानी ने सरकारी स्कूल के पास गांव को हालेर से जोड़ने वाली सड़क भी काट दी।मेहताबपुर में लगभग 2,200 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गयी है। सरपंच मनजिंदर सिंह ने कहा, “कल हमारे घरों में पानी घुस गया था और बाद में कम हो गया, लेकिन अब फिर से पानी बढ़ने लगा है।” टांडा-श्री हरगोबिंदपुर मार्ग पर फत्ता कुल्ला, रारा मंड, तलही मंड और गंधोवाल के परिवार अपने सामान और मवेशियों के साथ ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अस्थायी तंबुओं में शरण लेते देखे गये।
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Wed, Aug 27 , 2025, 06:47 PM