Pitru Paksha ke  Upay : ग्रहण के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय...

Tue, Aug 26 , 2025, 08:37 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Pitra Dosh Ke Upay: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस वर्ष पितृ पक्ष (Pitru Paksha) बेहद खास होने वाला है, क्योंकि लगभग 100 वर्षों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जब पितृ पक्ष में चंद्र और सूर्य ग्रहण (Lunar and Solar Eclipse) एक साथ लगेंगे। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का महत्व बेहद खास माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण को शुभ और अशुभ फलों का समय कहा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रहण के इस दुर्लभ संयोग का पितरों की मोक्ष पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं।

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 2025 में पितृ पक्ष में दो ग्रहण लगेंगे।
  • 7 सितंबर 2025: पितृ पक्ष की शुरुआत में चंद्र ग्रहण लगेगा।
  • 21 सितंबर 2025: पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध के दिन 21 सितंबर 2025 को सूर्य ग्रहण लगेगा।
  • एक ही पखवाड़े में दो ग्रहण लगना एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय घटना है। इसी संयोग के कारण यह पितृ पक्ष अत्यंत विशेष माना जाता है।

क्या ग्रहण के दौरान श्राद्ध और तर्पण करना शुभ होता है?
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

ग्रहण के दौरान पितृ कर्म कैसे करें?
आमतौर पर ग्रहण के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन पितरों के कार्य इससे अलग होते हैं।
चंद्र ग्रहण (7 सितंबर): चंद्र ग्रहण के दौरान, सूतक काल में श्राद्ध नहीं किया जा सकता। लेकिन इस दौरान पितरों को दान देना और मंत्र जाप करना विशेष लाभकारी होता है।
सूर्य ग्रहण (21 सितंबर): सूर्य ग्रहण के दौरान दान करना विशेष फलदायी होता है।
ग्रहण का क्या प्रभाव होगा?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव व्यक्ति और राशि के अनुसार अलग-अलग होता है। पितृ पक्ष में पड़ने वाले इन ग्रहणों से कुछ राशियों को लाभ हो सकता है, जबकि अन्य को थोड़ा सावधान रहना होगा। कुल मिलाकर, 2025 का पितृ पक्ष ऐतिहासिक और ज्योतिषीय दृष्टि से एक महत्वपूर्ण समय है। ग्रहणों का यह महासंयोग अशुभ नहीं माना जाता, बल्कि पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला एक शक्तिशाली संयोग है। इस दौरान किया गया श्राद्ध और तर्पण प्रत्यक्ष रूप से पितरों को शांति और मुक्ति प्रदान करेगा।

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