शिलांग। मेघालय के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता चेरियन मोमिन ने सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और भारतीय श्रम आयोग में याचिका दायर कर गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (GHADC) के कर्मचारियों को 270 करोड़ रुपये से अधिक के वेतन भुगतान न होने के मुद्दे को सुलझाने में हस्तक्षेप करने की मांग की। प्रदर्शनकारी कर्मंचारियों ने कहा कि अराजपत्रित कर्मचारी संघ (NGEA) के बैनर तले वे तब तक धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक कि नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के नेतृत्व वाली जीएचएडीसी की कार्यकारी समिति सभी 43 महीनों के लंबित वेतन का भुगतान नहीं कर देती। सोमवार को धरना 50वें दिन जारी रहा।
मोमिन ने एनएचआरसी और भारतीय श्रम आयोग को लिखे एक अलग पत्र में, जिसकी प्रतियाँ राज्य के राज्यपाल सी.एच. विजयशंकर, मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष जीएचएडीसी कर्मचारियों को 43 महीनों की अवधि तक वेतन न दिए जाने को "मानवाधिकार संकट" करार दिया। भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत मेघालय में तीन ज़िला परिषदें खासी हिल्स, जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स है जो आदिवासी स्वायत्तता, संस्कृति और शासन की रक्षा करती हैं। स्वायत्त परिषदों के पास वन, कर संग्रह आदि जैसे असंख्य मुद्दों पर भी अधिकार हैं।
उन्होंने कहा कि 43 महीनों तक वेतन न देना संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के कई स्तरों और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय नियम का उल्लंघन है, जिसका भारत एक पक्ष है और जो राज्य को अपने श्रमिकों के लिए उचित वेतन और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करता है। उन्होंने कहा ''संवैधानिक लोकतंत्र में राज्य सरकार और जीएचएडीसी अधिकारियों की चुप्पी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। राजनीतिक सुविधा या प्रशासनिक अक्षमता के लिए सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार को निलंबित नहीं किया जा सकता। उन्होंने एनएचआरसी और श्रम आयोग से निर्णायक रूप से हस्तक्षेप करने और जीएचएडीसी के कर्मचारियों के लिए न्याय, सम्मान और आशा बहाल करने का आग्रह किया।''
उन्होंने आरोप लगाया कि 1,300 से ज़्यादा जीएचएडीसी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एनजीईए ने वित्तीय संकट से जूझ रही एनपीपी के नेतृत्व वाली कार्यकारी समिति के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें 43 महीनों के लंबित वेतन में से चार महीने का भुगतान करने और धरना-प्रदर्शन समाप्त करने का अनुरोध किया गया था। एनजीईए के अध्यक्ष ब्रिथेन एम. संगमा ने बताया, "1,352 जीएचएडीसी कर्मचारी तब तक अपना लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक एनपीपी के नेतृत्व वाली परिषद की कार्यकारी समिति 43 महीनों के लंबित वेतन का भुगतान नहीं कर देती। हम सिर्फ़ अपने वाजिब बकाये की मांग कर रहे हैं, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।"
इस बीच गारो हिल्स के कई नागरिक समाज संगठनों (CSO) और विपक्षी तृणमूल कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी ने बकाया वेतन के विरोध में एनजीईए का समर्थन किया है।तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ( BJP) ने राज्यपाल विजयशंकर से भी मुलाकात की है और वेतन न मिलने पर उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है।
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Mon, Aug 25 , 2025, 07:15 PM