हाईकोर्ट के आदेश पर पवई में झुग्गी हटाने की मनपा की कार्रवाई, विस्थापित परिवारों ने मांगा पुनर्वसन

Thu, Aug 21 , 2025, 03:44 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई : पवई के जय भीम नगर इलाके (Powai's Jai Bhim Nagar area) में वर्षों से बसे सैकड़ों परिवारों की झुग्गियां एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के आदेश के बाद बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने फुटपाथों और सार्वजनिक स्थलों पर बने अस्थायी झोपड़ों को हटाने की कार्रवाई शुरू की। अदालत ने स्पष्ट किया था कि लोकहित और सुरक्षा के मद्देनज़र अवैध झुग्गियों को हटाना (remove illegal slums) अनिवार्य है, जिसके चलते बीएमसी ने पुलिस बंदोबस्त के बीच कार्रवाई को अंजाम दी है। विक्रोली आगार विभाग (Vikhroli Agar Vibhag) के पवई हिरानंदानी गेटवे प्लाज़ा सेंट्रल एवेन्यू रोड बायर हाउस (Powai Hiranandani Gateway Plaza Central Avenue Road Buyer House) पर झोपड़पट्टी हटाने का काम चल रहा था। इस दौरान पथराव की घटना होने से पुलिस ने रास्ता बंद कर दिया। इसके चलते बसों के मार्ग में बदलाव किया गया है।

बस मार्ग क्रमांक 392 को आदी शंकराचार्य मार्ग से सीधे भेजा जा रहा है। बस मार्ग क्रमांक 423 और 409 भी आदी शंकराचार्य मार्ग से होकर जाएंगे और आगे 392 के साथ शेट्टी हाईस्कूल से नियोजित मार्ग पर चलेंगे। इसी तरह बस मार्ग क्रमांक 602 को आदी शंकराचार्य मार्ग से गेटवे प्लाज़ा होते हुए सीधे भेजा जाएगा और फिर 392 के साथ बाएँ मुड़कर हिरानंदानी बस स्थानक तक ले जाया जाएगा। यह नई व्यवस्था दोपहर 1:45 बजे से लागू की गई है।

करीब 650 परिवारों पर इस आदेश का सीधा असर पड़ा है। इन परिवारों ने पिछले वर्ष हुई तोड़फोड़ के बाद फुटपाथ पर अस्थायी छावनियां खड़ी कर ली थीं, जिन्हें अब हटाना पड़ा है। बस्तीवासियों का कहना है कि वे तीन दशकों से अधिक समय से यहां रह रहे हैं और उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल जैसे सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं, बावजूद इसके उन्हें अचानक बेदखल कर दिया गया। उनका आरोप है कि चुनावों के समय उन्हें वैध माना जाता है, लेकिन रहने का अधिकार देने के मामले में उन्हें “अवैध” करार दिया जाता है।

हाईकोर्ट ने बीएमसी को यह भी निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों पर कार्रवाई के लिए विशेष सेल गठित किया जाए, जो हर वार्ड स्तर पर अतिक्रमण की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को अंजाम देगा। वहीं, अदालत ने यह भी दोहराया कि पुनर्वसन नीति मानवीय दृष्टिकोण से लागू होनी चाहिए ताकि शहर के भीतर ही गरीब परिवारों को सुरक्षित आवास मिल सके, न कि उन्हें हाशिए पर धकेला जाए।

बारिश के मौसम और आपसी टकराव की आशंका के कारण बीएमसी ने कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया। इससे पहले जून 2024 में जब झुग्गी हटाने की कोशिश की गई थी तो झुग्गीवासियों और पुलिस के बीच पथराव और लाठीचार्ज की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसके चलते कई लोग घायल हुए थे। उस घटना के बाद हाईकोर्ट ने न केवल बीएमसी की भूमिका पर सवाल उठाए थे बल्कि विशेष जांच दल गठित करने और एफआईआर दर्ज करने तक का आदेश दिया था।

फिलहाल जय भीम नगर के निवासियों ने न्यायालय से मुआवज़े और पुनर्वसन की ठोस योजना की मांग की है। उनका कहना है कि बिना पुनर्वसन व्यवस्था के लगातार किए जा रहे निष्कासन से उनके बच्चों की पढ़ाई, आजीविका और जीवन की बुनियादी ज़रूरतें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। यह मामला अब सिर्फ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मुंबई जैसे महानगर में गरीब और मध्यमवर्गीय बस्तियों के अधिकार, आवास और अस्तित्व की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।

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