Magical Medicinal Plants: मानसून शुरू होते ही बाज़ार में तरह-तरह की जंगली सब्ज़ियाँ दिखाई देने लगती हैं। प्रकृति का यह खजाना ग्रामीण इलाकों के लोगों, खासकर जंगल के पास रहने वालों के लिए बेहद कीमती है। यह न सिर्फ़ उनके आहार का हिस्सा है, बल्कि उनके जीवन का एक अहम हिस्सा भी है।
बदलते मौसम के साथ नई जंगली सब्ज़ियाँ आती हैं। कुछ बुज़ुर्ग लोग ऐसे भी होते हैं जो हर मौसम में मिलने वाली किसी ख़ास सब्ज़ी का इंतज़ार करते हैं। हालाँकि, युवाओं में इसके प्रति उतनी रुचि और उत्साह नहीं दिखता जितना कि अपेक्षित है।
हम में से बहुत से लोग विभिन्न सब्जियों के नाम नहीं जानते, उनका स्वाद नहीं जानते। जहाँ कुछ सब्ज़ियाँ हमारे दैनिक आहार में पहले से ही नापसंद की जाती हैं, वहीं जंगली सब्ज़ियों की बात ही अलग है। हालाँकि, ये जंगली सब्ज़ियाँ अपने अनोखे स्वाद के साथ-साथ कई गुणों से भरपूर होती हैं। आइए मानसून में मिलने वाली कुछ जंगली सब्ज़ियों, उनके गुणों और महत्व के बारे में जानें।
जंगली सब्ज़ियाँ और उनके गुण
बरसात के मौसम में, सत्या (एक प्रकार का जंगली मशरूम), तरोता (एक प्रकार का मशरूम), कोयर, खपरखुटी, धनभाजी, पातुर, कद्दूभाजी, रंधोपा, हरताफरी, कपालफोड़ी, चुका जैसी कई सब्ज़ियाँ जंगलों में मिलती हैं।
इन सब्ज़ियों में कई औषधीय गुण और शरीर के लिए ज़रूरी पोषक तत्व होते हैं। इसीलिए ग्रामीण इलाकों में कहा जाता है कि जंगली सब्ज़ियाँ खाओ और हृष्ट-पुष्ट रहो। जंगली सब्ज़ियों में कई औषधीय गुण होते हैं। पोषण से भरपूर होने के कारण इन्हें अन्य बीमारियों की दवा के रूप में देखा जा सकता है।
गढ़चिरौली ज़िला वनों से आच्छादित ज़िला है। यहाँ जंगली सब्ज़ियों का खजाना है। आइए ऐसी ही कुछ सब्ज़ियों के बारे में जानें -
कैमुल जब्बा -
यह सब्ज़ी नदियों और नालों के किनारे पाई जाती है। अगर आपको बुखार या खांसी हो, तो आप इस सब्ज़ी का सेवन कर सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब्ज़ी बुखार और खांसी में कारगर है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
रसा जब्बा -
रसा जब्बा का अर्थ है शकरकंद की सब्जी। यह सब्जी हाथ-पैरों के दर्द में लाभकारी मानी जाती है।
बोतेह जब्बा -
इस सब्जी को मराठी में उंदिरकानी कहते हैं। इसके पत्ते चूहे के कान जैसे होते हैं, इसलिए कहा जाता है कि इसका नाम उंदिरकानी ने रखा है।
डोबे जब्बा -
डोबे जब्बा का अर्थ है जंगली सब्जी। इसे सूखी सब्जी या दाल के साथ पतली सब्जी के रूप में बनाया जाता है।
गुंडे -
इसे मराठी में आलू या कोचाई कहते हैं।
कोडिल जब्बा -
कंचन के पेड़ की छोटी पत्तियों को काटकर सब्जी बनाई जाती है। इसे माड़िया भाषा में कोडिल जब्बा कहते हैं। यह सब्जी रक्त प्रवाह बढ़ाने और मासिक धर्म को नियमित करने के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
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Thu, Aug 21 , 2025, 09:50 AM