Health insurance claim google location : क्या आपके Google लोकेशन को ट्रैक करके किसी क्लेम को खारिज किया जा सकता है? जानिए!

Wed, Aug 20 , 2025, 10:02 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Health insurance : मान लीजिए आपने स्वास्थ्य बीमा (Health insurance claim) का दावा दायर किया है। आपने अपनी बीमारी के बारे में पूरी ईमानदारी से जानकारी दी है और इलाज के सभी दस्तावेज़ जमा किए हैं। लेकिन क्लेम खारिज कर दिया गया, है ना? बीमा कंपनी ने आपके Google टाइमलाइन डेटा को देखा और कहा कि जब आप अस्पताल में भर्ती थे तब आपकी लोकेशन वहाँ नहीं थी।

यह मामला वल्लभ मोटका का है, जिनका क्लेम सिर्फ़ इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि कंपनी को उनके बयान और मोबाइल टाइमलाइन (mobile timeline) में अंतर मिला। बीमा कंपनी ने साफ़ तौर पर कहा कि मरीज़ 'Google टाइमलाइन' के अनुसार अस्पताल में मौजूद नहीं था, लेकिन उस समय मोबाइल मरीज़ के पास था।

अब सवाल यह उठता है कि क्या बीमा कंपनियों को Google टाइमलाइन जैसी आपकी डिजिटल निजी जानकारी तक पहुँचने का अधिकार है? क्या यह एक कानूनी अधिकार है या आपकी निजता का सीधा उल्लंघन? इन सवालों के जवाब जानने के लिए ET ने बीमा और कानूनी विशेषज्ञों से बात की।

क्या हुआ?

वल्लभ मोटका ने गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस से 6.5 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी, जिसकी अवधि 21 फरवरी, 2025 को समाप्त होनी थी। सितंबर 2024 में उन्हें वायरल निमोनिया हो गया और 11 सितंबर को उन्हें सिलवासा के अरहम अस्पताल में भर्ती कराया गया। 14 सितंबर को इलाज पूरा होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इलाज के बाद, उन्होंने बीमा कंपनी को 48,251 रुपये का दावा प्रस्तुत किया, लेकिन कंपनी ने उनका दावा खारिज कर दिया। इसकी वजह यह थी कि जब कंपनी ने उनकी गूगल टाइमलाइन चेक की, तो पता चला कि उस समय उनके मोबाइल लोकेशन पर अस्पताल की लोकेशन नहीं थी। यानी जिस दिन वे अस्पताल में थे, उस दिन उनके फोन की लोकेशन अस्पताल के आस-पास नहीं दिख रही थी। इसलिए कंपनी ने कहा है कि उनका दावा वैध नहीं है। लेकिन वल्लभ ने हार नहीं मानी और मामला उपभोक्ता फोरम में ले जाकर शिकायत दर्ज कराई। वहां अदालत ने वल्लभ का पक्ष लिया और बीमा कंपनी को उनके पूरे 48,251 रुपये के दावे का भुगतान करने का आदेश दिया।

इस मामले में गो डिजिट इंश्योरेंस की क्या भूमिका है?

गो डिजिट इंश्योरेंस ने कहा कि उसने वल्लभ मोटका की सहमति के बाद ही गूगल टाइमलाइन की जानकारी हासिल की थी। कंपनी ने यह भी कहा कि सिर्फ़ गूगल टाइमलाइन के आधार पर क्लेम ब्लॉक नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने दस्तावेज़ों की जाँच की, तो उन्हें कुछ त्रुटियाँ मिलीं, जैसे कि अस्पताल में भर्ती होने में अंतराल था, यानी वह हमेशा अस्पताल में मौजूद नहीं थे। दिए गए बिलों और अस्पताल के रिकॉर्ड में कुछ अशुद्धियाँ थीं, और इलाज के बारे में दी गई जानकारी में भी कुछ अतिशयोक्ति थी। गूगल टाइमलाइन की कुछ जानकारी भी मेल नहीं खाती थी।

डिजिट इंश्योरेंस का कहना है कि उसने वल्लभ मोटका की गूगल टाइमलाइन की जानकारी उनकी अनुमति से ही हासिल की थी। लेकिन वल्लभ के वकीलों का कहना है कि बीमा कंपनियाँ अक्सर मरीज़ों को फँसाकर उनके फ़ोन की लोकेशन हिस्ट्री देखती हैं, जो सही नहीं है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलिसीधारक की स्पष्ट और पूरी जानकारी के बिना, बीमा कंपनियाँ उनके गूगल लोकेशन हिस्ट्री के आधार पर किसी क्लेम को मंज़ूरी या नामंज़ूर नहीं कर सकतीं। आईआरडीएआई या भारतीय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो बीमा कंपनियों को गूगल मैप्स से स्थान संबंधी डेटा मांगने या उसे निर्णायक साक्ष्य मानने की अनुमति देता हो।

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