Chandra Grahan 2025 : साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 20 दिन बाद लगेगा, समय और सूतककाल क्या है?

Mon, Aug 18 , 2025, 10:05 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र (astrology) के अनुसार, ग्रहण मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। सितंबर 2025 में दो ग्रहण लगेंगे। एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण। सितंबर में लगने वाला चंद्र ग्रहण इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। यह अब से 20 दिन बाद लगेगा। खास बात यह है कि इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत (Second lunar eclipse India) में दिखाई देगा। आइए जानते हैं इसका सूतककाल कब तक रहेगा और इस दौरान कोई भी काम नहीं करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण कब और क्यों लगता है?
चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। यह अद्भुत घटना तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। यह घटना केवल पूर्णिमा के दौरान ही घटित हो सकती है, जब चंद्रमा पृथ्वी के विपरीत दिशा में होता है। चंद्र ग्रहण की स्थिति में, पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक नहीं पहुँचने देती। जिसके कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और वह मटमैला या लाल दिखाई देता है।

2025 में भारत में चंद्र ग्रहण का समय क्या है?

भारतीय समय के अनुसार, वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में 7 सितंबर को रात 9.58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर को सुबह 1.25 बजे तक रहेगा। इस दौरान चंद्रमा लाल-नारंगी रंग का दिखाई देगा। इसे ब्लड मून भी कहा जाता है। यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण (Khagras) होगा और खग्रास चंद्र ग्रहण तभी होता है जब पृथ्वी की पूरी छाया पूरे चंद्रमा को ढक लेती है।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ काम करना वर्जित माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ न करें। भगवान की मूर्ति को न छुएं। भोजन न पकाएँ। चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

चंद्र ग्रहण का सूतक काल कब है?
चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इसके लिए, 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12.57 बजे से शुरू होगा। चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद सूतक काल भी समाप्त हो जाएगा।

ग्रहण का सूतक काल क्या है?
सूतक काल ग्रहण से पहले का काल होता है। इसे अशुभ माना जाता है। सूर्य ग्रहण में यह काल 12 घंटे पहले शुरू होता है। और चंद्र ग्रहण में यह काल 9 घंटे पहले शुरू होता है। ग्रहण के सूतक काल में कोई भी कार्य करना वर्जित है।

सूतक काल का प्रभाव
हिंदू धर्म के अनुसार, सूतक काल को अशुभ माना जाता है। इस समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है। गर्भवती महिलाओं को सूतक काल के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। ग्रहण का असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है। सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किया जाता है।

ग्रहण के सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए!

  • सूतक काल में भोजन न पकाएँ
  • सूतक काल में बाल न कटवाएँ और न ही तेल लगाएँ
  • सूतक काल में न सोएँ
  • सूतक काल में सिलाई का काम भी न करें
  • सूतक काल में भोजन करना भी वर्जित है
  • सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए
  • सूतक काल में पूजा-पाठ और शुभ कार्य न करें
  • सूतक काल में तुलसी के पौधों को न छुएँ

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