Krishna Bhog on Janmashtami: गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी (Gokulashtami or Janmashtami), पूरे भारत में एक हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव है। यह भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्म का प्रतीक है और आध्यात्मिक विकास एवं उपचार के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। कृष्ण की पूजा (worshiping Krishna), व्रत और विशिष्ट अनुष्ठान करके, भक्त कठिनाइयों से मुक्ति और उनके दिव्य आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह उत्सव लोगों को एक साथ लाता है, जहाँ सभी लोग प्रेमपूर्वक उत्सव मनाते हैं, चाहे वे कृष्ण को एक छोटे भाई के रूप में देखें, अपने बच्चे के रूप में, या एक दिव्य मार्गदर्शक के रूप में।
प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) के अनुसार, कृष्णजी को खुश करने के लिए दो चीजें जरूर भोग में चढ़ाएं। एक है मक्खन और दूसरा चावल के आटे का मालपुआ। मक्खन ताजा और घर का बना होना चाहिए, ताकि इसमें प्रेम और पवित्रता दोनों हों। मालपुआ भी घर पर बनाएं, बाजार का लाना कान्हा को उतना रास नहीं आएगा। शनिवार 16 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। हर बार की तरह इस बार भी भक्त कान्हा को क्या भोग लगाएं यही सोच रहे हैं। इस दिन उपवास, भक्ति और प्रेम से लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन उन्हें भोग में क्या चढ़ाएं, पूजा सामग्री और पूजा विधि के बारे में।
जन्माष्टमी की पूजा सामग्री लिस्ट
अगर आप विधि-विधान से पूजन करना चाहते हैं तो ये सामग्री जरूर रखें:
लड्डू गोपाल की मूर्ति
पीले रंग के वस्त्र (रेशमी हों तो और शुभ)
मोर पंख का मुकुट और बांसुरी (चांदी की हो तो और अच्छा)
फूल, मालाएं, तुलसी पत्ते
धूप, दीप, कपूर, चंदन (पीला चंदन), रोली, हल्दी, कुमकुम
भोग के लिए माखन, मिश्री, पंजीरी, फल
स्नान के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल)
जन्माष्टमी की पूजा विधि
सुबह की पूजा:
सुबह सबसे पहले लड्डू गोपाल को हल्के गुनगुने पानी से स्नान कराएं। साफ और शुभ वस्त्र पहनाएं (पीला रंग खास शुभ माना जाता है)। मोरपंख वाला मुकुट, बांसुरी और आभूषण से श्रृंगार करें।
रात का विशेष स्नान (मध्यरात्रि कृष्ण जन्म के बाद):
जैसे ही रात 12 बजे जन्म का समय हो, लड्डू गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान कराएं। स्नान के बाद नए वस्त्र और प्रिय आभूषण पहनाएं।
उन्हें झूले या सिंहासन पर बैठाकर चारों ओर फूल और मालाएं सजाएं।
माथे पर पीला चंदन का टीका लगाएं। तुलसी दल और ताजे फूल अर्पित करें।
घी का दीपक जलाकर कृष्ण जी की आरती करें।
भोग में माखन-मिश्री, धनिया/आटे की पंजीरी, मिष्ठान और फल अर्पित करें। भोग के साथ तुलसी पत्तियां जरूर रखें, क्योंकि यह विष्णु प्रिय मानी जाती है।
जन्माष्टमी व्रत कथा:
पुराणों के अनुसार, जब धरती पाप से भर गई थी, तब भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में अवतार लिया। उनका जन्म मथुरा के कारागार में देवकी और वासुदेव के घर हुआ। कंस का विनाश उनका प्रमुख उद्देश्य था। जन्म के तुरंत बाद वासुदेव जी ने उन्हें यमुना पार गोकुल पहुंचाया, जहां नंद-यशोदा ने उनका पालन किया। जन्माष्टमी का व्रत रखने और कथा सुनने से पाप नष्ट होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।जन्माष्टमी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का दिन है। इस दिन अपने मन, वचन और कर्म को शुद्ध करें।
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Fri, Aug 15 , 2025, 04:20 PM