krishna janmashtami celebration:  मथुरा और वृंदावन ही नहीं, बल्कि 'इन'

Wed, Aug 13 , 2025, 07:57 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

janmashtami celebration tips : कृष्ण जन्माष्टमी-गोपालकाला (Krishna Janmashtami-Gopalkala) का दिन बस कुछ ही दिनों में आ गया है और इस अवसर पर भारत के विभिन्न स्थानों पर तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी का पावन पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व पूरे देश में बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा, जन्माष्टमी के दिन जगह-जगह मंच सजाए जाते हैं और नाट्य के माध्यम से कृष्ण लीलाएँ दिखाई जाती हैं। मंदिरों को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है। धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की जन्मभूमि मथुरा और उनकी लीला स्थली वृंदावन, दोनों जगहों पर जन्माष्टमी बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। साथ ही, इन जगहों पर भक्तों की भारी भीड़ भी देखी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कई जगहों पर जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। आज के लेख में हम जानेंगे कि मथुरा और वृंदावन के अलावा और किन जगहों पर जन्माष्टमी बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है।

द्वारका

मथुरा और वृंदावन के अलावा, गुजरात के द्वारका में भी कृष्ण जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। आप यहाँ भी जाने पर विचार कर सकते हैं। यह स्थान भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा है, इसलिए द्वारका भक्तों को बहुत प्रिय है। आप यहाँ द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

पुरी

ओडिशा के पुरी में जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। भक्त विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जगन्नाथ मंदिर आते हैं। इस दिन भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार के भोग और पंचामृत का प्रसाद चढ़ाया जाता है। साथ ही, जन्माष्टमी के दिन मंदिर को फूलों और दीपों से सजाया जाता है। साथ ही, यहाँ श्री कृष्ण लीला के दृश्य बेहद मनमोहक होते हैं। आप जन्माष्टमी पर पुरी जाने की योजना बना सकते हैं।

कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता सुनाई थी। जन्माष्टमी के दिन यहाँ कई भक्त आते हैं। मंदिरों में भगवान कृष्ण की लीलाओं को दर्शाने के लिए चित्रकला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

बरसाना

बरसाना को राधा रानी का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ जन्माष्टमी भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। यहाँ के मंदिरों की सजावट आपका मन मोह लेगी। कृष्ण की लीलाओं को दर्शाने वाले दृश्य, लीलाएँ और नृत्य आपको कृष्ण के समय में ले जाएँगे। बरसाना मथुरा से लगभग 50 किमी और वृंदावन से लगभग 45 किमी दूर है।

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