How to make peace after a fight: क्या झगडे के बाद सॉरी हमेशा हस्बैंड को ही बोलना चाहिए? 

Wed, Aug 13 , 2025, 10:00 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

How to make peace after a fight: रिश्तों में तकरार होना बहुत आम बात है। चाहे वो दोस्त हों, परिवार हों, काम पर सहकर्मी हों, प्रेमी-प्रेमिका हों या पति-पत्नी! हर रिश्ते में कभी न कभी तनाव ज़रूर पैदा होता है। तनाव को कैसे संभाला जाए, यह जाने बिना ही एक भयंकर झगड़ा हो जाता है और एक अहम सवाल उठता है कि सबसे पहले माफ़ी मांगना किसे शुरू करना चाहिए?

दोनों पक्ष अपने अहंकार में डूबे रहते हैं। अहंकार रिश्ते से बड़ा हो जाता है और छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा महीनों तक चलता रहता है। यही दूरियों का कारण भी है। अगर हम एक बात ध्यान में रखें, तो समस्या का समाधान हो सकता है। वह बात यह है कि रिश्ता हमारे अहंकार से बड़ा और ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक बार जब हम इसे अच्छी तरह समझ लेते हैं, तो सुलह करना आसान हो जाता है।

झगड़े के बाद शांति क्यों होती है? 
जब झगड़ा होता है, तो भावनाएँ बहुत तीव्र हो जाती हैं, क्रोध, उदासी, अपमान और लाचारी। ऐसे समय में लोग खुद को सही मानकर दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश करते हैं। इसके बाद, जब मन थोड़ा शांत हो जाता है, तो दोनों पक्ष एक-दूसरे से पहले बोलने की उम्मीद करते हैं। लेकिन जब दोनों इंतज़ार करते रहते हैं, तो बातचीत पूरी तरह से बंद हो जाती है।

झगड़े के बाद पहला कदम उठाना क्यों ज़रूरी है
किसी भी रिश्ते को मज़बूत बनाए रखने के लिए बातचीत बहुत ज़रूरी है। झगड़े के बाद पहला कदम उठाना दर्शाता है कि आप रिश्ते को बचाना और बनाए रखना चाहते हैं। यह कमज़ोरी की निशानी नहीं, बल्कि समझदारी और भावनात्मक परिपक्वता की निशानी है। अगर आप झुककर बातचीत शुरू करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप ग़लत हैं, बल्कि इसका मतलब है कि रिश्ता आपके लिए महत्वपूर्ण है।

समाधान क्या है?
क. झगड़े के तुरंत बाद बोलने से समस्या बढ़ सकती है। तभी बोलें जब गुस्सा शांत हो गया हो और आप सोचने-समझने की स्थिति में हों।
ख. संदेशों से भावनाएँ ठीक से व्यक्त नहीं होतीं। फ़ोन पर या आमने-सामने बात करना बेहतर है।
ग. 'मुझे पहल क्यों करनी चाहिए?' वाली मानसिकता छोड़ दें। अगर आप रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो पहल करें।

माफ़ी माँगें
क. अगर आपने कोई गलती की है, तो उसे स्वीकार करें। 'माफ़ी' कहना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इसका गहरा असर होता है।

ख. सुलह करते समय, दूसरे व्यक्ति की बात ध्यान से सुनें। सिर्फ़ अपनी बात कहने से कोई समाधान नहीं निकलता।

झगड़े बुरे नहीं होते
झगड़े बुरे नहीं होते, लेकिन आपको उनसे निपटना आना चाहिए। झगड़े के बाद बातचीत बंद न करें, बल्कि इसे सुधार का एक मौका समझें। अगर आप सचमुच किसी को खोना नहीं चाहते, तो पहला कदम उठाने में संकोच न करें। आख़िरकार, रिश्ते को बनाए रखने के लिए न सिर्फ़ प्यार, बल्कि समझ की भी ज़रूरत होती है।

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