Pandharpur Vitthal Temple : पिछले कुछ दिनों से राज्य मराठी-हिंदी विवाद (Marathi-Hindi controversy) से सुलग रहा है। जनता और विपक्ष के बढ़ते दबाव के चलते राज्य सरकार को कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य करने का फैसला वापस लेना पड़ा। इस हिंदी अनिवार्यता के चलते मुंबई और उसके उपनगरों में मराठी का मुद्दा फिर गरमा गया है। इस बीच, इन सब घटनाक्रमों के बाद अब पंढरपुर से एक बड़ी जानकारी सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि पंढरपुर के विट्ठल मंदिर (Vitthal temple in Pandharpur) में हिंदी में पूजा की गई। अब, जब यह बात सामने आई है कि मंदिर में सीधे हिंदी में पूजा (Worship in Hindi) की गई, तो माहौल और गरमाने की संभावना है।
आखिर हुआ क्या था?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि पंढरपुर के विट्ठल मंदिर में हिंदी में पूजा की गई। पूजा के दौरान 30 से 35 मराठी परिवार मौजूद थे। हालाँकि, राहुल सातपुते नाम के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया के ज़रिए दावा किया है कि सिर्फ़ एक परिवार के लिए हिंदी में पूजा की गई। सातपुते ने यह दावा करते हुए एक बड़ा पोस्ट लिखा है और यह भी कहा है कि वह इस मामले को उठाएँगे।
जाँच के बाद उचित कार्रवाई
राहुल सातपुते ने इस संबंध में पंढरपुर मंदिर समिति में शिकायत दर्ज कराई है। मंदिर समिति ने इस शिकायत का जवाब दिया है। हम इस मामले की जाँच करेंगे। जाँच के बाद उचित कार्रवाई करेंगे, ऐसा मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने कहा है।
राजेंद्र शेल्के ने वास्तव में क्या प्रस्तुत किया?
पंढरपुर मंदिर में विट्ठल और रुक्मिणी माता की तुलसी पूजा हुई। इसके सभी स्रोत संस्कृत में हैं। हालाँकि, तुलसी पूजा शुरू करने से पहले इसकी जानकारी मराठी में दी जाती है। लेकिन 9 अगस्त को एक अमराठी परिवार आया था। क्या उस परिवार को इसकी जानकारी हिंदी में दी जाएगी? उन्होंने पूछा। हमारी सारी पूजा मराठी में होती है। राजेंद्र शेल्के ने बताया, "हम हिंदी में कोई पूजा नहीं करते। चूँकि भक्त मराठी नहीं समझते, इसलिए हमने पूजा की जानकारी सिर्फ़ हिंदी में ही दी।"
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Sun, Aug 10 , 2025, 07:09 PM