Super Alcohol: वैज्ञानिकों ने पहली बार प्रयोगशाला में एक ऐसा अल्कोहल बनाया है, जो अब तक सिर्फ़ सैद्धांतिक रूप में ही मौजूद था। इसका नाम है मीथेनटेट्रॉल (C(OH)₄) - एक 'सुपर अल्कोहल', जो चार हाइड्रॉक्सिल समूहों (OH) से बना है। यह भी एक कार्बन से जुड़ा है। आप इसे कॉकटेल में इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि यह अणु बेहद अस्थिर है। वैज्ञानिकों ने इसके अस्तित्व की भविष्यवाणी 100 साल पहले की थी, लेकिन इसे कभी प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा गया था।
अब वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इसे प्रयोगशाला में बनाया है। ऐसा करने के लिए, उन्होंने अंतरिक्ष जैसी परिस्थितियाँ बनाईं। उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को बेहद कम तापमान पर जमाया। उन्होंने इसे उच्च-ऊर्जा विकिरण के संपर्क में भी रखा, जैसे कि सुपरनोवा और आकाशगंगा के तारों से निकलने वाला विकिरण। इस प्रतिक्रिया से जो अणु बना, वह मीथेनटेट्रॉल था।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में लिखा, 'यह खोज दर्शाती है कि अंतरतारकीय बादलों (तारों के बीच जमी धूल) में एक बेहद अनोखा और अप्रत्याशित रसायन होता है, जिसे अब गंभीरता से समझने की ज़रूरत है।' यह खोज सिर्फ़ एक परमाणु की नहीं है, बल्कि यह भी संभव है कि ऐसे और भी 'असंभव' परमाणु हों। यह खोज हमें यह समझने में भी मदद कर सकती है कि दूसरे ग्रहों पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई और जीवन के लिए ज़रूरी रसायन कैसे बने।
वैज्ञानिकों के अनुसार, मीथेनट्रियोल को पृथ्वी पर देखना संभव नहीं है। यह परमाणु प्रकाश से तुरंत नष्ट हो जाता है। लेकिन अब, वैज्ञानिकों ने इसे प्रयोगशाला में बनाया है, जिससे दूरबीनों की मदद से गहरे अंतरिक्ष में इसका पता लगाया जा सकता है। फिर भी, अंतरिक्ष में इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। यह परमाणु बहुत तेज़ी से क्षय होता है। इसे वियोजनात्मक प्रकाश आयनीकरण कहते हैं। वैज्ञानिकों ने इसे भी प्रयोगशाला में कुछ ही क्षणों के लिए बनाया है। इससे पहले, इन्हीं वैज्ञानिकों ने मीथेनट्रियोल नामक एक और 'असंभव' परमाणु की खोज की थी।
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