नयी दिल्ली। मध्यप्रदेश सरकार ने खो-खो खिलाड़ी सचिन भार्गव (Kho-Kho player Sachin Bhargava) को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित विक्रम पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया है। भार्गव ने खो-खो विश्व कप 2025 (Kho-Kho World Cup 2025) में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह उन 11 खिलाड़ियों में शामिल है जिन्हें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने मंगलवार को भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित शिखर खेल अलंकरण समारोह में विक्रम पुरस्कार से सम्मानित किया।
विक्रम पुरस्कार की शुरुआत 15 मई 1990 को हुई थी और यह मध्यप्रदेश का सर्वोच्च खेल सम्मान है। इसमें प्रशस्ति पत्र और दो लाख की नकद राशि दी जाती है, और यह उन खिलाड़ियों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने सीनियर स्तर की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो। मध्यप्रदेश के देवास जिले के मूल निवासी 25 वर्षीय सचिन भार्गव वर्तमान में खेल कोटा के तहत मुंबई में आयकर विभाग में कार्यरत हैं। उन्हें यह नियुक्ति 2024 में खो-खो में उनके शानदार प्रदर्शन के आधार पर मिली थी। अपने सफर और सफलता का श्रेय वे अपने कोच प्रवीण सांगते, खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया (KKFI) के अध्यक्ष श्री सुधांशु मित्तल, चेयरमैन डॉ. एम.एस. त्यागी और अपने परिवार को देते हैं।
इस अवसर पर सचिन भार्गव ने कहा, “केकेएफआई अध्यक्ष श्री सुधांशु मित्तल जी और श्री एम.एस. त्यागी जी ने खो-खो को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए हैं, वह सराहनीय है। उनके प्रयासों के कारण ही आज खो-खो किसी भी अन्य खेल के समकक्ष खड़ा है। खो-खो खिलाड़ियों को अब न केवल पहचान मिल रही है, बल्कि सरकारी नौकरी के अवसर भी मिल रहे हैं।” केकेएफआई अध्यक्ष श्री सुधांशु मित्तल ने विजेता को बधाई देते हुए कहा, “खो-खो ने खिलाड़ियों के जीवन को नई दिशा दी है। आज इस खेल से जुड़ने पर न केवल पुरस्कार मिलते हैं, बल्कि सरकारी नौकरियां और समाज में सम्मान भी मिलता है। यही वजह है कि आज अनेक युवा खिलाड़ी खो-खो को करियर के रूप में चुन रहे हैं।”
केकेएफआई के चेयरमैन, प्रशासन एवं संगठन, डॉ. एम.एस. त्यागी ने कहा, “खो-खो खिलाड़ियों का आत्मबल वास्तव में बेमिसाल है। आज खो-खो एक आधुनिक प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में विकसित हो चुका है, जिसमें स्पोर्ट्स साइंस का भी समावेश हो चुका है, और यह खासकर जेनरेशन Z के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह खेल सरकारी नौकरियों, प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सामाजिक मान्यता जैसे अवसर प्रदान कर रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में युवा अब खो-खो की ओर आकर्षित हो रहे हैं।” अब तक 3,000 से अधिक खो-खो खिलाड़ी देश की केंद्रीय और राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) और पैरामिलिट्री बलों में नौकरी प्राप्त कर चुके हैं। खो-खो अब एथलीट्स के जीवन में परिवर्तन लाने वाला एक सशक्त माध्यम बन चुका है। मध्यप्रदेश सरका की ओर से 11 विक्रम पुरस्कार, 11 एकलव्य पुरस्कार, तीन विश्वामित्र पुरस्कार और एक लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान प्रदान किया। इसके अलावा, 38वें नेशनल गेम्स में पदक जीतने वाले 82 एथलीटों (34 स्वर्ण, 25 रजत और 23 कांस्य पदक विजेता) को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
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Wed, Aug 06 , 2025, 08:59 PM