Apple Cultivation in Shimla: हिमाचल प्रदेश के सेब की पैदावार वाले क्षेत्रों में लगातार बारिश (continuous rain) के कारण पेड़ों में फफूंद संक्रमण (Fungal infection) में तेज़ी देखी गयी है। इसके चलते सेबों पर काले धब्बे पड़ रहे हैं और पेड़ों की पत्तियाँ समय से पहले पीली होकर गिरने लगी हैं। यहां के मौसम में नमी का सापेक्ष स्तर 80 फीसदी से ज़्यादा होने से स्थिति और बिगड़ रही है। इस कारण से सेबों के पेड़ों पर फफूंद जनित रोगों के तेज़ी से फैलने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ बन रही हैं। कई बागों में, फल जल्दी गिरने और अल्टरनेरिया तथा लीफ़ ब्लाइट (Alternaria and Leaf Blight) नामक रोगों के प्रकोप ने बागवानों की चिंता बढ़ा दी है।
ठियोग के एक सेब किसान पवन शर्मा ने कहा, "फफूंद संक्रमण के अलावा, लगातार बारिश ने सेबों के आकार और गुणवत्ता पर भी असर डाला है। अगर बारिश जल्द नहीं रुकी तो किसानों का नुकसान कई गुना बढ़ सकता है।" पराला फल मंडी के कमीशन एजेंट सुशील ठाकुर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि शिमला के कई इलाकों से सेब की खेपों में फफूंद का नुकसान दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा, "कच्चे और संक्रमित सेब बड़ी मात्रा में आ रहे हैं, जिससे कीमतें गिर रही हैं। पहले सेब के दाम ज़्यादा चल रहे थे, पर अब उपज की खराब गुणवत्ता के दाम नीचे आ रहे हैं।"
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. भारद्वाज ने किसानों को तुरंत निवारक कदम उठाने की सलाह देते हुए कहा है कि अगर फफूंद संक्रमण के लक्षण दिखाई दें, तो मौसम साफ़ होने पर फफूंदनाशक का छिड़काव करना चाहिए। किसान शाखाओं की छंटाई करें ताकि धूप भीतर तक आ सके। किसान पौधे के आसपास उगी घास को हटा दें और हर 15 दिन में दवा का छिड़काव करें तो उनको बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। अगर उमस का मौसम लंबा खिंचता है तो पत्तियों के गिरने और संक्रमण अधिक फैल सकता है। ऐसा होने पर इस मौसम में सेब की कुल पैदावार पर असर पड़ सकता है। बागवानों को डर है कि अगर बारिश लगातार जारी रही तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
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Tue, Aug 05 , 2025, 01:55 PM