तेलंगाना विधायकों की आयोग्यता विवाद पर विधानसभा अध्यक्ष तीन महीने में फैसला करें: सुप्रीम कोर्ट

Thu, Jul 31 , 2025, 02:30 PM

Source : Uni India

Telangana MLAs' Disqualification Dispute: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने तेलंगाना सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने में निर्णय लेने का राज्य विधानसभा अध्यक्ष को गुरुवार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई (Chief Justice BR Gavai) और न्यायमूर्ति ए जी मसीह (Justice AG Masih) की पीठ यह निर्देश देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मुद्दे पर उनकी नोटिस के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सात महीने बाद ही संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि विधायक सुनवाई में शामिल होने में किसी तरह से कोई भी टालमटोल करते हैं, तो उनके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संसद को विधायकों की अयोग्यता की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करने वाले दलबदलुओं के खिलाफ कार्रवाई को विफल करने के लिए ऐसी कार्यवाही (सुनवाई और फैसला) में अत्यधिक देरी करते हैं। पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 22 नवंबर, 2024 के फैसले के खिलाफ दायर बीआरएस नेता पाडी कौशिक रेड्डी और के टी रामा राव की अपील को स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अध्यक्ष को चार हफ्तों के भीतर सुनवाई के लिए तारीखें तय करने के एकल पीठ के निर्देश को रद्द कर दिया गया था।

दोनों बीआरएस नेताओं की याचिका में सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने वाले 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समय पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता कार्यवाही में निर्णायक भूमिका में कार्य करते हैं। इस भूमिका विधानसभा अध्यक्ष उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अधीन एक न्यायाधिकरण के रूप में भी कार्य करते हैं।

पीठ ने स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष को ऐसे मामलों में कोई संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह तथ्य पर गौर करते हुए कि राजनीतिक दलबदल राष्ट्रीय चर्चा का विषय रहा है और अगर इसे रोका नहीं गया तो यह लोकतंत्र के लिए बाधा बन सकता है। अदालत ने कहा कि किसी भी विधायक को अध्यक्ष के समक्ष लंबित अयोग्यता कार्यवाही को लंबा खींचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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