भोपाल: आगामी 28 जुलाई से शुरु होने जा रहे मध्यप्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Assembly) के मानसून सत्र (monsoon session) के पहले विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों के विधानसभा परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक संबंधित आदेश का कांग्रेस ने विरोध करते हुए इसे 'सेंसरशिप (censorship)' बताया है और कहा है कि झूठे आँकड़े देने वाली सरकार एक्सपोज़ होने से बचने के लिए ऐसे आदेश जारी कर रही है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (Assembly Umang Singhar) ने इस पत्र को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि संविधान की धारा 194 विधायकों को विशेष शक्तियाँ देता है, जिसका इस्तेमाल कर वे जनता के हित से जुड़े मुद्दों को सदन में उठाते हैं, अपनी बात रखते हैं और सरकार से जवाब मांगते हैं। विधानसभा में झूठे एवं फर्जी आँकड़े देने वाली सरकार खुद को एक्सपोज़ होने से बचाने के लिए इस तरह के नियम और फरमान जारी करवा रही है। यह लोकतंत्र की हत्या है। सरकार ना विधानसभा की कार्यवाही को लाइव होने दे रही है, ना प्रदर्शन करने दे रही है और अब नारे लगाने पर भी रोक लगा रही हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि ये सवालों से भागने की तैयारी है। सत्र से पहले ही सेंसरशिप लागू है। 28 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले विधायकों को पत्र भेजा कि नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन नहीं होंगे। ये आदेश नहीं, डर का दस्तावेज़ है, क्योंकि सरकार जानती है कांग्रेस के सवाल सबूतों के साथ हैं।
दरअसल विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को एक पत्र जारी कर कहा गया है कि सदस्यों द्वारा विधानसभा परिसर में नारेबाजी एवं प्रदर्शन करना निषिद्ध किया गया है। पत्र में प्रवेश पत्र संबंधित भी कई बातें कहीं गईं हैं। कांग्रेस इसे एक मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
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Sat, Jul 26 , 2025, 12:06 PM