मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) (NIA) की यहां की एक विशेष अदालत (Court) ने प्रतिबंधित संगठन सिमी (SIMI) के कार्यकर्ता साकिब नाचन (Saqib Nachan) के पुत्र और आतंकवाद (Terrorism) के आरोपी शमील नाचन (Shamil Nachan) की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
शमील ने अपने पिता की मृत्यु के बाद विभिन्न क्रियाकलापों के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी। उसके पिता की हाल ही में दिल्ली की तिहाड़ जेल में मृत्यु हो गयी थी। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि नमाज कहीं से भी अदा की जा सकती है और कब्रिस्तान में व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक नहीं है।
शमील ने अपने पिता की मौत के बाद विभिन्न क्रियाकलापों के लिए 20 दिनों की अंतरिम जमानत दिए जाने का आग्रह किया था।शमील के वकीलों, मोबिन सोलकर और ताहिरा कुरैशी ने तर्क दिया था कि मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार, कुरान ख्वानी की व्यवस्था की जानी चाहिए। मृत्यु के बाद 20 दिनों की अवधि के दौरान, नमाज अदा करने के लिए कब्रिस्तान में दिन में दो बार जाना होता है। मृत्यु के 10वें, 20वें और 40वें दिन नमाज का आयोजन किया जाना है। मृतक की कब्र का पुनर्निर्माण किया जाना है। इसके लिए पुत्र के तौर पर शमील की उपस्थिति नितांत आवश्यक है।
एनआईए ने इस याचिका का विरोध किया और दावा किया कि शमील इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) का एक सक्रिय सदस्य है और वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का मुख्य साजिशकर्ता भी है। इस संगठन को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है। एनआईए ने बताया कि उसके पिता साकिब नाचन प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के पूर्व सचिव भी थे।
अदालत ने कहा, “अपने पिता की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए आवेदक/आरोपी शमील कहीं से भी प्रार्थना कर सकता है। उसे व्यक्तिगत और शारीरिक रूप से कब्रिस्तान में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा उसका सगा भाई वहां पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।
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