Maharashtra State Cooperative Bank Scam: रोहित पवार की मुश्किलें बढ़ीं, सहकारी बैंक घोटाला से जुडी अदालत की अहम आदेश!

Sat, Jul 19 , 2025, 09:02 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाला मामले में NCP शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था। यह आरोप पत्र मुंबई की एक विशेष अदालत में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत दायर किया गया था। अब PMLA अदालत ने एक अहम आदेश दिया है।

अब विशेष PMLA अदालत ने विधायक रोहित पवार के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है। अदालत ने रोहित पवार और अन्य आरोपियों को तलब किया है। सभी को 21 अगस्त को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। रोहित पवार, उनके करीबी सहयोगी और व्यवसायी राजेंद्र इंगवाले और पवार की कंपनी बारामती एग्रो लिमिटेड को तलब किया गया है। इससे रोहित पवार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

पिछले हफ्ते, प्रवर्तन निदेशालय ने रोहित पवार और अन्य आरोपियों के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था। अदालत ने पाया है कि रोहित पवार और इंगवाले प्रथम दृष्टया इस मामले में संलिप्त हैं। इस टिप्पणी के बाद, अदालत ने रोहित पवार और अन्य आरोपियों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

असली मामला क्या है?
ईडी ने रोहित पवार की बारामती एग्रो कंपनी की 50 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति ज़ब्त की थी। जनवरी 2023 में, ईडी ने रोहित पवार के स्वामित्व वाली बारामती एग्रो समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद, रोहित पवार को पूछताछ के लिए ईडी के मुंबई कार्यालय में भी बुलाया गया था। इसके अलावा, मार्च 2023 में, ईडी ने बारामती एग्रो की 50 करोड़ 20 लाख रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से ज़ब्त कर ली थी। इसमें कन्नड़, संभाजीनगर में 161.30 एकड़ ज़मीन, एक चीनी मिल, मशीनरी और इमारतें शामिल थीं।

ईडी का दावा है कि ये संपत्तियाँ मूल रूप से कन्नड़ सहकारी साखर कारखाना लिमिटेड (कन्नड़ एसएसके) की थीं। जिन्हें बारामती एग्रो कंपनी ने एक फ़र्ज़ी नीलामी प्रक्रिया के ज़रिए ख़रीदा था। ईडी के अनुसार, यह संपत्ति अपराध की आय मानी जाती है और मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम का उल्लंघन करती है। इस मामले में, अगस्त 2019 में मुंबई आर्थिक अपराध शाखा द्वारा एक मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कई आरोप शामिल हैं।

प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया है कि एमएससीबी के अधिकारियों और निदेशकों ने कई सहकारी चीनी मिलों को अवैध रूप से अपने रिश्तेदारों और करीबी निजी कंपनियों को बेहद कम दामों पर बेच दिया। इस लेन-देन में कोई पारदर्शिता नहीं थी। गौरतलब है कि एमएससीबी ने 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली के लिए 2009 में कन्नड़ मिल का कब्ज़ा लिया था।

इसके बाद, बैंक ने संदिग्ध मूल्यांकन करके कम कीमत पर मिल की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी। ईडी का यह भी आरोप है कि इस नीलामी में भी घोटाला हुआ। क्योंकि सबसे ऊँची बोली लगाने वाले को मामूली आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद, इस मिल का स्वामित्व बारामती एग्रो के पास आ गया। यह मामला अब एक विशेष पीएमएलए अदालत में लंबित है और ईडी का कहना है कि जाँच अभी जारी है।

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