Basil leaves changes: अगर आषाढ़ (Ashadh) और श्रावण (Shravan) के महीनों में तुलसी के पत्तों का रंग बदल जाए, तो इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। गर्मियों में हरे पत्ते बैंगनी हो जाते हैं। लेकिन आषाढ़ और श्रावण के महीनों में ये फिर से हरे होने लगते हैं। इसके पीछे का कारण समझें।
तुलसी के पत्ते गर्मियों में बैंगनी हो जाते हैं। लेकिन जब बारिश का मौसम (rainy season) शुरू होता है, तो इनका रंग फिर से बदल जाता है। ये पत्ते हरे होने लगते हैं। धूप में रखे तुलसी के पत्तों में यह अंतर दिखाई देता है। लेकिन तुलसी के पत्तों के रंग बदलने का क्या कारण है? आइए जानें।
बैंगनी पत्तों वाली तुलसी को कृष्ण तुलसी (Krishna Tulsi) कहा जाता है। तुलसी के पत्तों के रंग बदलने का कारण रंगद्रव्य है। इस रंगद्रव्य का नाम एंथोसायनिन है। यही रंगद्रव्य तुलसी के पत्तों को बैंगनी रंग देता है। यह रंगद्रव्य ज़्यादा धूप वाले दिनों में ज़्यादा बनता है। यही कारण है कि गर्मियों में तुलसी के हरे पत्ते बैंगनी हो जाते हैं।
मानसून के दौरान तापमान गिर जाता है। यह जलवायु परिवर्तन उस रंगद्रव्य को भी प्रभावित करता है जो बैंगनी रंग देता है। रंगद्रव्य कम हो जाता है और बैंगनी पत्ते फिर से हरे दिखाई देने लगते हैं। वैज्ञानिकों (scientists) के अनुसार, मौसम में बदलाव का पौधे पर भी असर पड़ता है।
भारत में हरी तुलसी को राम तुलसी (Ram Tulsi) कहा जाता है, जबकि बैंगनी तुलसी को कृष्ण तुलसी कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बैंगनी पत्तियों का मतलब है कि पौधा उच्च तापमान से जूझ रहा है। उसे छाया या पानी की ज़रूरत है।
तुलसी के पौधे (basil plant) को ऐसी जगह रखें जहाँ उसे पर्याप्त धूप मिले। इसे ऐसी जगह न रखें जहाँ सीधी धूप आती हो। इससे तुलसी के सूखने का खतरा बढ़ जाता है। समय-समय पर इसे पानी दें और इसकी देखभाल करें। इसे ऐसी जगह रखें जहाँ मानसून के दौरान इसे पर्याप्त पानी मिले। लेकिन अगर गमले में पानी भरा हो, तो उसे हटा दें, अन्यथा पौधे के सड़ने का खतरा रहता है।
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Thu, Jul 17 , 2025, 09:46 PM