Mandaviya outlines medal: मांडविया ने ‘खेलो भारत सम्मेलन’ में ओलंपिक 2036 के लिए पदक रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की

Thu, Jul 17 , 2025, 08:34 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक 2036 और पैरालंपिक में शीर्ष 10 देशों में स्थान पाने के लिए भारत की पदक रणनीति की रूपरेखा आज प्रस्तुत की। डॉ. मांडविया ने आज यहां आयोजित ‘खेलो भारत कॉन्क्लेव’ में राष्ट्रीय खेल महासंघों, भारतीय पैरालंपिक समिति (PCI), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), संस्थानों, शीर्ष कॉर्पोरेट घरानों और भारतीय खेल प्रशासन के प्रमुख लोगों के प्रतिनिधियों के साथ एक दिवसीय विचार-मंथन सत्र में भाग लिया। इसका उद्देश्य 2047 तक भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाना है।

इस इंटरैक्टिव कॉन्क्लेव में खेलो भारत नीति 2025 (खेल नीति) में निहित कई प्रमुख स्तंभों पर चर्चा की गई। सुशासन के महत्व और 21 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने वाले आगामी विधेयक पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
इस अवसर पर डॉ. मांडविया ने कहा, “खेल एक जन आंदोलन है। हम लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं और उन्हें तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम सभी मिलकर काम करें। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी हमेशा खेलों के मामले में एकजुट शक्ति में विश्वास करते हैं और हमें अपना अहंकार त्यागना होगा, व्यापक योजना पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाओं को सार्थक परिणाम में बदलना होगा।”

डॉ. मांडविया ने राष्ट्रीय खेल महासंघों पर नेतृत्व संभालने और युद्धस्तर पर सुशासन की प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी देते हुए कहा, “हमें तुरंत आकलन करना होगा कि हम कहां हैं और कहां जाना चाहते हैं। सबसे पहले, मैं राष्ट्रीय खेल महासंघों से अगस्त तक मुझे पांच साल की नीति प्रदान करने का आग्रह करता हूँ और फिर हम दस साल की योजना बना सकते हैं। 2026 में होने वाले एशियाई खेलों को देखते हुए, हमें एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है क्योंकि हम न केवल ओलंपिक में पदक जीतना चाहते हैं, बल्कि खेलों को एक व्यावसायिक संपत्ति बनाना चाहते हैं जहां हम दुनिया को भारत में खेलने के लिए आमंत्रित कर सकें और लद्दाख तथा जम्मू-कश्मीर में खेल पर्यटन को बढ़ावा दे सकें।”

सुशासन की आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही गुणवत्तापूर्ण कोच, खेल प्रशासकों को तैयार करने, खेल सामग्री व्यवसाय को विकसित करने और डोपिंग के खतरे को नियंत्रित करने पर गहन चर्चा हुई। खेल मंत्रालय के ‘राष्ट्र-प्रथम’ दृष्टिकोण ने राष्ट्रीय खेल महासंघों से गंभीर प्रतिबद्धता की मांग की है और खेल निकायों से 29 अगस्त, राष्ट्रीय खेल दिवस तक ‘तीन सुशासन पहल’ निर्धारित करने का आग्रह किया है। केन्द्रीय खेल मंत्री ने कहा, “खेलो भारत नीति के कार्यान्वयन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम इन पहलों को कितनी अच्छी तरह क्रियान्वित करते हैं। 

हमें राष्ट्रीय खेल महासंघों को हर संभव सहायता प्रदान करने में खुशी हो रही है, लेकिन आगे चलकर हम प्रदर्शन-आधारित अनुदानों पर विचार करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हम अपनी योजना और खेल संचालन के प्रति केंद्रित और गंभीर हैं।” मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल महासंघों से कार्यक्रमों का उचित कैलेंडर बनाने का आग्रह किया ताकि एथलीटों को रसद संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े। खेल मंत्रालय स्कूलों से शुरू होकर प्रस्तावित ओलंपिक प्रशिक्षण केंद्रों तक पहुंचने वाले एक त्रि-स्तरीय एकीकृत प्रतिभा विकास पिरामिड पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सरकार ने पहले ही एक पंचवर्षीय योजना (2026-27 से 2030-31) की रूपरेखा तैयार कर ली है, जिसकी शुरुआत आवासीय खेल विद्यालय से होगी और जिसमें 16,500 से अधिक स्कूली छात्र शामिल होंगे, जिन्हें इंटरमीडिएट स्तर (6,500 से अधिक) तक पहुंचने और फिर एलीट डिवीजन में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, जो 1,300 से अधिक संभावित अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं को सेवा प्रदान करेगा।

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