मुंबई: नगर निगम चुनावों की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। आज एक अहम घोषणा होने वाली है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आगामी नगर निगम चुनावों के लिए समीकरणों को साधने पर ज़ोर दिया है। एक ओर पार्टी के भीतर दूसरे दलों के असंतुष्टों को अपनी ओर करने की कोशिशें चल रही हैं, वहीं शिवसेना शिंदे गुट में मज़बूत पैठ बना रही है। अब वोटों का मिलान शुरू हो गया है। आज एक बड़ा ऐलान होने वाला है।
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में अब कुछ ही महीने बचे हैं। राज्य की सभी पार्टियाँ नगर निगम चुनावों के लिए अपनी ताकत आजमा रही हैं। एकनाथ शिंदे मुंबई और अन्य इलाकों में मनसे के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे इस पर चर्चा चल रही है। वहीं दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे वोट हासिल करने के लिए दूसरे छोटे दलों से बात कर रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे ने एक और पार्टी को अपने साथ जोड़ लिया है।
महागठबंधन में नया गठबंधन...
अब राज्य में महागठबंधन में एक और नई पार्टी की एंट्री होने जा रही है। खबर है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और आनंदराज अंबेडकर के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन सेना गठबंधन करेगी। इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा आज दोपहर को होगी, जिससे स्थानीय निकाय चुनावों में नए समीकरणों की शुरुआत होगी।
यह गठबंधन "शिवशक्ति-भीमशक्ति" की ऐतिहासिक अवधारणा को आगे बढ़ाने का एक नया तरीका होगा। यह अवधारणा सबसे पहले शिवशक्ति प्रमुख स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के समय नामदेव ढसाल और अर्जुन डांगले के साथ लागू की गई थी। उसके बाद, उद्धव ठाकरे ने प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ गठबंधन करने की कोशिश की, लेकिन वह गठबंधन सफल नहीं हुआ।
अब खुद एकनाथ शिंदे ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के पोते आनंदराज अंबेडकर के साथ राजनीतिक सहयोग का एक नया अध्याय शुरू करके "शिवशक्ति-भीमशक्ति" के प्रयोग को नई जान दे दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि यह गठबंधन चुनाव से पहले दलित-मराठा मतदाताओं के बीच अपनी छाप छोड़ सकता है।
गठबंधन के फायदे और नुकसान का गणित क्या है?
इस गठबंधन से मुंबई, ठाणे, नासिक, नागपुर जैसे शहरी इलाकों में शिंदे गुट को फायदा मिलने की संभावना है। वहीं, राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे आनंदराज आंबेडकर को भी मजबूती मिलेगी। इस नए राजनीतिक गठबंधन का दलित और ओबीसी मतदाताओं पर क्या असर होगा, इस पर भी सबकी नज़र है।
गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद, उम्मीद है कि दोनों दल मिलकर चुनाव प्रचार की रणनीति, उम्मीदवार चयन और सीटों के बंटवारे पर काम शुरू करेंगे। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि आनंदराज आंबेडकर को शिंदे गुट के कोटे से सीट मिलेगी या महागठबंधन में अलग से सीट।
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Wed, Jul 16 , 2025, 08:51 AM