नयी दिल्ली: बिहार की मतदाता सूची (voter list of Bihar) के विशेष गहन पुनरीक्षण का विवाद अब उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) तक पहुंच गया। स्वयंसेवी संस्था 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms)' ने पुनरीक्षण से संबंधित भारत के चुनाव आयोग की ओर से 24 जून 2025 को जारी आदेश को मनमाना और संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए इसे शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर करके चुनौती दी है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग के इस आदेश से राज्य के लाखों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
याचिका में दलील दी गई है कि चुनाव आयोग का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 के अलावा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 21ए के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। याचिका में दावा किया गया है कि आयोग के उक्त आदेश में बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची में शामिल न होने वाले मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए निर्दिष्ट नागरिकता दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया है।
याचिका में यह दलील दी गई है कि बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां बड़ी संख्या में लोगों का पलायन होता है। ऐसी में यहां की एक बड़ी आबादी के पास जन्म प्रमाण पत्र या अपने माता-पिता से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है। याचिका में आशंका जतायी गयी है कि चुनाव आयोग के ताजा आदेश से राज्य के तीन करोड़ से अधिक लोग मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और प्रवासी श्रमिक शामिल इसे प्रभावित होगें।
याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग के जून में जारी उक्त आदेश को रद्द कर दिया जाए। यदि इसे रद्द नहीं किया गया तो मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया अपनाये बिना लाखों लोगों को उनके मताधिकार से वंचित किया जा सकता है। विशेष पुनरीक्षण का यह आदेश स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित करने के साथ ही संविधान के मूल ढांचे पर प्रहार कर सकता है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Sat, Jul 05 , 2025, 02:22 PM