Sant Kabir Das Jayanti 2025: हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा (full moon day of Jyeshtha month) के दिन संत कबीर दास जयंती (Sant Kabir Das Jayanti ) मनाई जाती है, जो इस साल 11 जून को मनाई जा रही है। संत कबीर दास जयंती हमें मानवता, समानता और दिखावे से दूर रहने का संदेश देती है। संत कबीर दास 15वीं सदी के महान कवि, समाज सुधारक और संत थे, जिन्होंने अपने दोहों और छंदों के माध्यम से समाज में व्याप्त आडंबर, पाखंड और भेदभाव का खंडन किया था।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।
उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की बुराइयों को दूर करने में लगा दिया। दोहे के रूप में उनकी रचनाएं आज भी गायी जाती हैं। कबीर दास जी का जन्म काशी में 1398 में हुआ था, जबकि उनका निधन 1518 में मगहर में हुआ था।आइए आज देखते हैं संत कबीर दास के कुछ सुविचार जिन्हें आप अपने प्रियजनों को भेजकर उन्हें इस दिन के बारे में जागरूक कर सकते हैं। आईये पढ़ें संत कबीरदास के अनमोल वचन। ..
संत कबीर दास के अनमोल वचन
1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा अपना, मुझे बुरा ना कोय।
2. पोथी पड़ी पड़ी जग मुआ, पंडित भयों न कोई
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होई।
3. साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय।
4. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि के, मन का मनका फेर।
5. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
सब अंधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं।
6. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।
7. कबीरा यह घर प्रेम का खला का घर नाहिं।
शीश उतारे हांथि करि , सो पैंथे घर माहीं।
8. वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।
परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।
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Wed, Jun 11 , 2025, 12:45 PM