Ravi Pradosh Vrat:  क्या आप जानते हैं रवि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने का    महत्व और विधि!

Tue, Jun 10 , 2025, 07:15 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Importance of performing Rudrabhishek: रवि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। रवि प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ-साथ सूर्य देव (Sun God) को भी समर्पित है, जो इस व्रत को और भी खास और फलदायी बनाता है। विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने और शीघ्र विवाह की संभावना बढ़ाने के लिए इस दिन रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने से विवाह की संभावना बढ़ती है, लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी (Qualified Astrologer) से अपनी कुंडली का विश्लेषण अवश्य करवाएं। वे ग्रहों की स्थिति के आधार पर अधिक सटीक उपाय बता सकते हैं।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून रविवार को सुबह 7:17 बजे शुरू होगी और अगले दिन 9 जून सोमवार को सुबह 9:35 बजे समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा के लिए रविवार, 8 जून को शाम 7:18 बजे से रात 9:19 बजे तक का समय रहेगा। इस प्रदोष काल में या शिववास पर जाकर रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

विवाह के लिए जिम्मेदार मुख्य ग्रह बृहस्पति और शुक्र हैं। रुद्राभिषेक से बृहस्पति और शुक्र मजबूत होते हैं, जिससे विवाह के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। अगर कुंडली में मंगल दोष के कारण विवाह में देरी हो रही है, तो रुद्राभिषेक (विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से) मंगल के नकारात्मक प्रभाव शांत होते हैं। रुद्राभिषेक से राहु-केतु के कारण विवाह में आने वाली बाधाएं भी कम होती हैं। रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की शीघ्र विवाह की इच्छा पूरी करते हैं। इससे घर और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे विवाह के लिए अनुकूल माहौल बनता है।

रवि प्रदोष व्रत के लिए रुद्राभिषेक की विधि

  • रुद्राभिषेक घर पर या किसी मंदिर में किसी योग्य पंडित की मदद से किया जा सकता है। इसे स्वयं करने के लिए आप इस विधि का पालन कर सकते हैं।
  • सामग्री:- भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग, शुद्ध जल (गंगाजल मिला हुआ), गाय का दूध, दही, घी, शहद, चीनी (पंचामृत), बेलपत्र (3 या 5 पत्ते साबुत), धतूरा, भांग, आक के फूले, कनेर के फूले, चंदन, रोली, अक्षत (साबुत चावल), इत्र, जनेऊ, वस्त्र, धूप, दीप, अगरबत्ती, फल, मिठाई, प्रसाद और दक्षिणा।
  • रवि प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें और व्रत रखने का संकल्प लें तथा रुद्राभिषेक करें।
  • घर में मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। शिवलिंग या शिव मूर्ति स्थापित करें।
  • किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। 'ॐ गं गणपतये नमः' का जाप करें।
  • सबसे पहले शिवलिंग का शुद्ध जल से अभिषेक करें। उसके बाद पंचामृत की सभी सामग्री (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) एक-एक करके लें और उनका अभिषेक करें।
  • प्रत्येक वस्तु अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते रहें। पंचामृत के बाद शिवलिंग को शुद्ध करने के लिए पुनः शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर चंदन, रोली, चावल लगाएं। बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल, कनेर के फूल चढ़ाएं और भगवान शिव को वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें।
  • रुद्राभिषेक के दौरान और बाद में धूप और घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजमहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्युमुख्य मामृतात्।” रुद्र मंत्र: “ॐ नमो भगवते रुद्राय।” शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय।” (कम से कम 108 बार जपें)
  • शिव चालीसा और आरती: शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें।
  • शीघ्र विवाह की कामना के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती से पूरे मन से प्रार्थना करें। आप पार्वतीजी को लाल चुनरी और श्रृंगार का सामान भी चढ़ा सकते हैं।
  • पूजा समाप्त होने के बाद भक्तों और परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
  • रुद्राभिषेक का महत्व
  • रुद्राभिषेक को हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली अनुष्ठान माना जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के ज्ञात और अज्ञात पापों का नाश होता है। इससे कर्म का बोझ हल्का होता है और आध्यात्मिक शुद्धि होती है। कुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोषों (जैसे मंगल दोष, पितृ दोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव आदि) को शांत करने में रुद्राभिषेक बहुत प्रभावी माना जाता है। रुद्राभिषेक को इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है। यह उन दम्पतियों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है जो संतान प्राप्ति चाहते हैं। यह विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने तथा शीघ्र विवाह की संभावना बढ़ाने में उपयोगी है।

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