क्या आप जानते हैं कि अगर आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज हो जाती है, तो भविष्य में आपके बच्चे के मोटापे का खतरा 52% बढ़ जाता है? यह आंकड़ा साइंटिफिक जर्नल पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस (PLOS) में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया है। वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भविष्य में इन बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 40% बढ़ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। भले ही आपको पहले कभी डायबिटीज न हुई हो और गर्भावस्था के दौरान आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हो, लेकिन अब आपके बच्चे को दूसरे बच्चों के मुकाबले इस बीमारी का खतरा ज्यादा है।
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज है, तो क्या आपके डॉक्टर ने आपको यह बताया होगा? उन्होंने शायद यही कहा होगा कि गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल या ब्लड प्रेशर का बढ़ना सामान्य है। डिलीवरी के बाद यह धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है। हो सकता है कि उन्होंने आपको यह न बताया हो कि यह स्थिति भविष्य में आपके बच्चे को बीमार कर सकती है।
दुनिया में गर्भावधि मधुमेह के क्या आंकड़े हैं?
बच्चों में मधुमेह और मोटापे का खतरा क्यों बढ़ रहा है?
गर्भावधि मधुमेह के खतरे को कैसे कम कर सकते हैं?
14.7% गर्भवती महिलाओं को गर्भावधि मधुमेह है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 14.7% महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह यानी गर्भावधि मधुमेह होता है। जबकि भारत में हर साल करीब 50 लाख महिलाएं गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित होती हैं।
गर्भावधि मधुमेह के कारण बच्चों में मोटापा
डॉ. हिमानी शर्मा के अनुसार, मां के रक्त शर्करा स्तर में वृद्धि के कारण गर्भ में बच्चे को आवश्यकता से अधिक शर्करा मिलती है। इसके कारण उनका शरीर जन्म से पहले ही इसे संग्रहीत करना सीख जाता है। इसका सीधा असर बच्चे के मस्तिष्क, चयापचय और वजन पर पड़ता है। यही वजह है कि इन बच्चों में भविष्य में मोटापे और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के होने की संभावना अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होती है।
गर्भकालीन मधुमेह बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है
गर्भकालीन मधुमेह मां में उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण होता है। यह प्लेसेंटा यानी गर्भ में बच्चे को भोजन पहुंचाने वाली नली के जरिए बच्चे तक भी पहुंचता है। ऐसा करने के लिए बच्चे का अग्न्याशय अधिक इंसुलिन का उत्पादन करना शुरू कर देता है। इससे उसका मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और टाइप 2 मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है।
गर्भकालीन मधुमेह से पीड़ित मांओं के बच्चों में टाइप 2 मधुमेह के खतरे को कैसे कम किया जा सकता है?
डॉ. हिमानी शर्मा कहती हैं कि अगर मां को गर्भकालीन मधुमेह है, तो यह मान लें कि बच्चे को भविष्य में अन्य बच्चों की तुलना में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह का खतरा अधिक है। इसलिए मां की पहली जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को ऐसा आहार, जीवनशैली और दिनचर्या सिखाए जिससे उनके स्वस्थ रहने की संभावना बढ़े। इसके लिए आप ये उपाय अपना सकते हैं, देखें ग्राफिक-
गर्भकालीन मधुमेह से बचाव के लिए क्या करें?
डॉ. हिमानी शर्मा के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन है। इसलिए, इससे बचना मुश्किल है, लेकिन अगर गर्भधारण से पहले ही प्लानिंग शुरू कर दी जाए, तो इस जोखिम को कम किया जा सकता है। गर्भधारण से करीब 6 महीने पहले अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच कराएं। अपना HbA1c टेस्ट करवाएं और सुनिश्चित करें कि यह पूरी तरह से सामान्य है।
हालांकि, HbA1c के साथ-साथ अपनी सुबह की इंसुलिन की जांच भी करवाएं और सुनिश्चित करें कि आपका सुबह का इंसुलिन लेवल सामान्य है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य है, लेकिन आपका इंसुलिन लेवल अधिक है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। उपवास के दौरान शरीर में इंसुलिन का स्तर 5-15 μU/mL के बीच होना चाहिए। उपवास के दौरान ब्लड शुगर लेवल 100 से कम होना चाहिए।
नाश्ते के करीब 2 घंटे बाद अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच कराएं। अगर नाश्ते के बाद आपका ब्लड शुगर लेवल 120 mg/dL या इससे अधिक है, तो यह प्रीडायबिटीज का संकेत है। डॉ. हिमानी शर्मा कहती हैं कि प्रीडायबिटीज की पहचान के लिए इंसुलिन लेवल की जांच करानी चाहिए। दरअसल, शरीर कई बार ज़्यादा इंसुलिन रिलीज़ करके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। इसीलिए अगर टेस्ट में शुगर लेवल सामान्य दिख रहा है, तो समस्या शुरू हो चुकी है।
इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम करें। अपने खाने में ज़्यादा से ज़्यादा फल और सब्ज़ियाँ शामिल करें। तले हुए खाने से बचें। हर रोज़ 8 घंटे की नींद लें। तनाव को नियंत्रित रखें। अपने वज़न को नियंत्रित रखें। गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करते रहें। अगर गर्भावस्था से पहले ब्लड शुगर लेवल लगातार नियंत्रण में रहता है, तो गर्भावधि मधुमेह का जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है।
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Tue, Jun 10 , 2025, 09:45 AM