Vastu Shastra tips : वास्तु शास्त्र को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के नियमों का पालन करने से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आजकल नया घर खरीदना जीवन का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है, क्योंकि यह न केवल आपकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है बल्कि आपके परिवार की सुख, शांति और समृद्धि पर भी गहरा असर डालता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर खरीदने से पहले कुछ बातों को ध्यान से देखना बहुत जरूरी है, नहीं तो जीवन परेशानियों से भरा हो सकता है। यहां कुछ प्रमुख वास्तु नियम दिए गए हैं, जिन्हें नया घर खरीदने से पहले जांच लेना चाहिए।
घर का मुख्य द्वार और मुखौटा
घर का मुख्य द्वार ऊर्जा प्रवेश का मुख्य केंद्र होता है। पूर्व दिशा वाला घर सबसे शुभ माना जाता है, खासकर आध्यात्मिक, शिक्षण या रचनात्मक क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए। इससे मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है। उत्तर दिशा वाला घर भी बहुत शुभ होता है, खासकर उन लोगों के लिए जो व्यापार, वित्त या नए अवसरों की तलाश में हैं। यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। उत्तर-पूर्व दिशा में बना घर बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है क्योंकि यह पूजा और सकारात्मक ऊर्जा के लिए सबसे अच्छा होता है। यह शांति, ज्ञान और समृद्धि लाता है। आमतौर पर, दक्षिण दिशा में बना घर खरीदने से बचना चाहिए क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता है। इससे झगड़े, बीमारियाँ और वित्तीय समस्याएँ हो सकती हैं। अगर आपको इसे खरीदना ही है, तो किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लें और उचित उपाय करें। उसके बाद ही घर खरीदें। दक्षिण-पश्चिम दिशा में बना घर भी आमतौर पर शुभ नहीं माना जाता है।
प्लॉट/भूमि का आकार और स्थान
आपका प्लॉट हमेशा चौकोर या आयताकार होना चाहिए। त्रिकोणीय, गोल, अनियमित आकार के प्लॉट या कटे हुए कोनों वाले प्लॉट से बचना चाहिए क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य लाते हैं। घर के पास कोई श्मशान, कब्रिस्तान, कूड़े का ढेर, अस्पताल, मंदिर घर के बगल में नहीं होना चाहिए। घर के सामने कोई बड़ा पेड़ या खंभा नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे 'द्वारवेध' होता है और सकारात्मक ऊर्जा में बाधा आती है। चौराहे या चौराहे पर बने घर में भी वास्तु दोष हो सकता है। पानी की टंकी या सेप्टिक टैंक की स्थिति भी वास्तु के अनुसार होनी चाहिए।
घर के अंदर कमरों की दिशा और व्यवस्था
रसोई के लिए सबसे शुभ दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा है, क्योंकि यह अग्नि का स्थान है। रसोई को उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से बचें, क्योंकि इससे गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं। मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इससे रिश्तों में स्थिरता, अच्छा स्वास्थ्य और सामंजस्य आता है। मास्टर बेडरूम को उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने से बचें। पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा सबसे शुभ है। यह घर में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा लाता है। पूजा कक्ष शौचालय के पास या सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिए।
शौचालय/बाथरूम उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होने चाहिए। शौचालय उत्तर-पूर्व कोने में नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे वित्तीय नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उन्हें पूजा कक्ष या रसोई के पास भी नहीं होना चाहिए। घर में पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन होना चाहिए, खासकर पूर्व और उत्तर दिशा से। अगर घर या प्लॉट का ढलान उत्तर या पूर्व की ओर है, तो इसे शुभ माना जाता है, जो धन के प्रवाह को सुनिश्चित करता है।
ये दोष बन सकते हैं परेशानियों का कारण
नया घर खरीदते समय इन वास्तु नियमों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। इससे आपके परिवार को सुख, शांति, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। अगर आपको घर में कोई वास्तु दोष नजर आए तो उसे खरीदने से पहले किसी योग्य वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लें और उसका समाधान जानें। अगर इन दोषों को नजरअंदाज किया जाए तो ये जीवन में कई परेशानियों का कारण बन सकते हैं।
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Sun, Jun 08 , 2025, 09:53 PM