Digital Address ID: आधार कार्ड के जरिए पहचान और यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को आसान बनाने के बाद सरकार अब एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। अब हर पते को एक यूनिक डिजिटल आईडी मिल सकेगी। जिस तरह आधार नंबर हर नागरिक की पहचान के लिए जरूरी हो गया है, उसी तरह यह डिजिटल एड्रेस आईडी देश के हर घर और जगह की पहचान को आसान और सटीक बनाने में मदद करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार एक ऐसी व्यवस्था शुरू करने की योजना बना रही है, जिसमें हर पते को एक यूनिक डिजिटल आईडी दी जाएगी। इससे सरकारी सेवाएं और पार्सल जैसी डिलीवरी तेजी से और ज्यादा सटीक तरीके से हो सकेंगी।
फिलहाल देश में पतों के लिए कोई तय व्यवस्था या फॉर्मेट नहीं है। साथ ही यह भी साफ नहीं है कि किसी के पते का डेटा कौन रख रहा है और इसका इस्तेमाल किस लिए किया जा रहा है। अक्सर कंपनियां लोगों की इजाजत के बिना यह जानकारी शेयर कर देती हैं। इसे रोकने के लिए सरकार अब एक ऐसी व्यवस्था बना रही है, जहां आपकी इजाजत के बिना कोई भी आपके पते का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
इसकी जरूरत क्यों है?
ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी और कूरियर सेवाओं के तेजी से बढ़ने के साथ ही गलत या अधूरे पते एक बड़ी समस्या बन गए हैं। गांव हो या शहर, कई जगहों पर पते पर साइन या स्थानीय नाम लिखा होता है, जो न तो मानकीकृत होता है और न ही स्पष्ट। इससे डिलीवरी में देरी होती है और भ्रम की स्थिति बनती है। एक अध्ययन के अनुसार, पतों की इस गड़बड़ी से देश को हर साल करीब 10 से 14 अरब डॉलर यानी जीडीपी का करीब 0.5 फीसदी नुकसान होता है।
क्या बदलेगा?
सरकार 'डिजिटल एड्रेस' नाम से एक नया फ्रेमवर्क तैयार कर रही है, जो यह तय करेगा कि पता कैसे लिखा जाए, इसे कैसे शेयर किया जाए और किन परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जाए। इस सिस्टम के जरिए अगर किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म को आपका पता चाहिए तो उसे आपकी अनुमति लेनी होगी।
इस पूरी योजना पर डाक विभाग काम कर रहा है और खुद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) इसकी निगरानी कर रहा है। जल्द ही एक मसौदा योजना सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी की जाएगी और साल के अंत तक इसका अंतिम संस्करण सामने आ सकता है। इस सिस्टम को लागू करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक नया कानून भी लाया जा सकता है।
DIGIPIN क्या है?
इस सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण चीज है DIGIPIN यानी डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर। यह 10 अक्षरों का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड (अक्षरों और संख्याओं का संयोजन) होगा, जो किसी भी स्थान के स्थान को बहुत सटीक रूप से इंगित करेगा। मौजूदा पिन कोड सिस्टम एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है, लेकिन DIGIPIN उस स्थान के लिए विशिष्ट होगा जहाँ आप रहते हैं या आपकी कोई दुकान या इमारत है।
यह उन जगहों पर बहुत उपयोगी होगा जहाँ सामान्य पता काम नहीं करता है, उदाहरण के लिए, गाँव, झुग्गी-झोपड़ियाँ, जंगल या पहाड़ी इलाके। DIGIPIN की मदद से अब देश के हर कोने को एक अनूठा डिजिटल पता मिल सकेगा। डिजिटल पते के लिए मानकों से संबंधित मसौदा एक सप्ताह के भीतर जारी किया जाएगा और फिर साल के अंत तक अंतिम योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो आने वाले दिनों में डिजिटल एड्रेस सिस्टम भी आधार और यूपीआई की तरह हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन सकता है।
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Fri, Jun 06 , 2025, 09:30 AM