आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरुरत-भजनलाल!

Thu, Jun 05 , 2025, 09:25 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) ने प्रकृति का संरक्षण हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी एवं कर्तव्य बताते हुए कहा है कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी एवं स्वच्छ धरा देने के लिए पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरुरत है और प्रदेश की अनूठी जल संरक्षण परम्परा को ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान (Vande Ganga Jal Sanrakshan-Jan Abhiyan) आगे बढ़ायेगा।

श्री शर्मा गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) और गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर यहां आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपनी दिनचर्या में पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि तभी प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और हम आगामी पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी एवं स्वच्छ धरा का उपहार दे पाएंगे। उन्होंने सभी से आने वाले मानसून में कम से कम एक पौधा अपने आसपास के क्षेत्र में लगाने और उसकी नियमित देखभाल करने की भी अपील की ताकि प्रदेश को हरित राजस्थान बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं बल्कि महती आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकना हमारी नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जल संरक्षण की परंपराएं हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा रही हैं। हमारे पूर्वजों ने जल को अमृत माना और उसे संरक्षित करने के लिए अनूठे तरीके अपनाए। बावड़ियां, जोहड़, तालाब और कुंए जैसी संरचनाएं राजस्थान की जल संरक्षण की परंपराओं का जीवंत उदाहरण हैं। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Narendra Modi) की प्रेरणा से राजस्थान में ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान’ के रूप में एक नई पहल की गई है।

उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत जल संचय संरचनाओं का निर्माण, जल स्रोतों की साफ-सफाई, परंपरागत जलाशयों के स्वरूप को पुनः बहाल करने एवं इनके संरक्षण के लिए जन जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुंचाया जाएगा। शर्मा ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी कोशिश है कि जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश हर गांव और शहर में जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आगामी 20 जून तक पूरे प्रदेश में चलने वाले ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान’ में सभी प्रदेशवासी सहभागी बनें और अपने आस-पास जल संचयन के छोटे-छोटे कार्यों में योगदान दें।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान में अगले चार साल में लगभग 45 हजार जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इस वित्त वर्ष में पूरे राज्य में करीब पांच हजार जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा है। हर जिले में कम से कम 125 जल संरक्षण संरचनाएं बनाई जा रही हैं। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार हरित प्रयासों एवं नवाचारों से हरियालो राजस्थान की परिकल्पना को साकार करने के लिए कटिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्रदेश में केंद्र तथा राज्य सरकार के लक्ष्यों से अधिक लगभग 7 करोड़ 22 लाख पौधे लगाए गए हैं। 

उन्होंने मुख्यमंत्री का नवीन बीड पापड़ सफारी के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि जयपुर देश का एकमात्र ऐसा जिला बन गया है जहां तीन लेपर्ड सफ़ारियों के साथ लॉयन और टाइगर सफारी भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन से प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ रहा है, राज्य में अब बाघों की संख्या बढ़कर 140 हो गई है। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सर्कुलर इकोनॉमी की महत्ता बताते हुए कहा कि हर चीज का पुनः चक्रण होना चाहिए, जिससे संसाधनों की बर्बादी को खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि हम सभी को यूज़ एंड थ्रो की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और पर्यावरण के संधारण के लिए छोटे- छोटे कदम उठाने चाहिए। हमारे यही कदम भविष्य की पीढ़ियों को एक बेहतर कल देने का काम करेंगे।
 

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