Minor rape cases: नाबालिग दुष्कर्म मामलों की जवाबदेही तय करे बिहार सरकार : कांग्रेस

Mon, Jun 02 , 2025, 03:00 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। कांग्रेस (Congress) ने कहा है कि बिहार में शासन प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है और महिलाओं और खासकर बच्चियों के साथ आए दिन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं इसलिए राज्य सरकार को चुप्पी साधने की बजाए इन मामलों में जवाबदेही तय करनी चाहिए। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लाम्बा (Women Congress President Alka Lamba) ने सोमवार को यहां पार्टी के नये मुख्यालय इंदिरा भवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar') का कुशासन काल चल रहा है। राज्य में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है और लगातार बच्चियों के यौन शोषण की घटनाएं सामने आ रही हैं और जवाबदेही मुख्यमंत्री की भी है इसलिए बिहार सरकार को इन मामलों में जवाबदेही तय करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि नाबालिग बेटियों के साथ दुष्कर्म के मामले में फांसी होनी चाहिए, लेकिन फांसी होती क्यों नहीं है, हम यही सवाल बार-बार पूछ रहे हैं। देश की सच्चाई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बेटियों के साथ खड़ी नहीं है, बल्कि अपराधियों को बचाने में लगी है। यही कारण है कि बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। बिहार में मात्र 15 दिन के भीतर कई बच्चियों के साथ हैवानियत हुई है जिनमें मुजफ्फरपुर में पांचवीं में पढ़ने वाली बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या की कोशिश हुई और उसके शरीर पर 20 से ज्यादा घाव के निशान पाए गए। 

छपरा में स्कूल से लौटते समय छात्रा का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। सीतामढ़ी में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ, पश्चिमी चंपारण में ढाई साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया, मुंगेर में 16 साल की नाबालिग के साथ तथा अररिया में 11 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा सरकार में बेटियों के साथ अपराध की घटनाओं का विवरण देते हुए कहा कि इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि 2022 में 5,067 लोगों को दोषी ठहराए गए और 12,062 लोग बरी किए गए। वर्ष 2021 में 3,368 लोग दोषी ठहराए गए जबकि 7,745 लोगों को बरी किया गया। 

वर्ष 2020 में 3,814 दोषी ठहराए गए और 5,403 लोग बरी कर दिए गए। कर्नाटक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कर्नाटक में हमारी सरकार न होती तो प्रज्वल रेवन्ना आजाद घूम रहा होता। वहीं प्रज्वल रेवन्ना, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रचार करने गए थे। राष्ट्रीय महिला आयोग और प्रदेश महिला आयोग सिर्फ भाजपा की कठपुतलियां बनकर रह गईं हैं। वन स्टॉप सेंटर्स के नाम पर हवा-हवाई दावे हुए लेकिन देश और बिहार में ये देखने को नहीं मिलते। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में सिर्फ 410 अदालतें हैं, जो नाबालिग बच्चियों के साथ हुए अपराध की सुनवाई करती हैं, लेकिन मामले लाखों में हैं। अगर बिहार में इन मामलों की सुनवाई की जाए तो बच्चियों और उनके परिवारों को न्याय मिलने में 28 साल लगेंगे। ”

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