पटना: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान(Chirag Paswan) ने आज कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन (आईबीएसएम) ग्रामीण समृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में निर्णायक मोड़ है। पासवान ने सोमवार को यहां बिहार सरकार, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, एपीडा और टीपीसीआई के संयुक्त सहयोग से आयोजित दो दिवसीय आईबीएसएम का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आईबीएसएम ग्रामीण समृद्धि का निर्णायक मोड़ है। उन्होंने कहा कि यह महज एक व्यापारिक आयोजन नहीं बल्कि बिहार की कृषि शक्ति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस मंच का उद्देश्य राज्य की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजार से जोड़ना, किसानों की आय को दोगुना करना और बिहार को "भारत की वैश्विक खाद्य टोकरी" बनाने की दिशा में मजबूत आधारशिला रखना है। पासवान ने बताया कि प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना के तहत 2024-25 में बिहार में 10 हजार 270 ऋण स्वीकृत किए गए, जिनकी कुल राशि 624.42 करोड़ रुपये है और यह संख्या पूरे देश में सर्वाधिक है। उन्होंने यह आंकड़ा न केवल ग्रामीण उद्यमिता को सशक्त करने का प्रमाण है बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार के सूक्ष्म उद्यमी सरकार की योजनाओं में पूरा भरोसा रखते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बिहार की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करते हुए आर्यभट्ट, चाणक्य, बुद्ध और महावीर जैसे ऐतिहासिक महानुभावों की भूमि को ज्ञान की भूमि बताया। उन्होंने कहा कि आज उसी बिहार की भूमि से खाद्य नवाचार की नई क्रांति शुरू हो रही है। उन्होंने हाल ही में घोषित नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (एनआईएफटीईएम) की स्थापना को राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और इसे "आधुनिक नालंदा" की संज्ञा दी।
सम्मेलन में 20 देशों के 70 अंतरराष्ट्रीय खरीददार, 50 घरेलू एवं 20 संस्थागत खरीददारों ने हिस्सा लिया। लुलु ग्रुप (यूएई), सरताज (जापान), दातार एंड संस (यूएई), ग्लोबल फूड्स ट्रेडिंग (जर्मनी) जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों ने बिहार से चावल, मखाना, मसाले और फल जैसे उत्पादों की खरीद में गहरी रुचि दिखाई है। इतना ही नहीं, 12 कंपनियों ने औपचारिक तौर पर दीर्घकालिक सोर्सिंग साझेदारी की घोषणा की, जो राज्य के लिए निर्यात के क्षेत्र में मील का पत्थर है।
रॉयल गोल्डन ट्रेडिंग (यूएई) और यूवीआर नेचुरल फूड्स (भारत) जैसी कंपनियों ने ठोस सोर्सिंग योजनाएं साझा कीं, जिससे स्पष्ट है कि बिहार अब वैश्विक फूड चेन में एक भरोसेमंद भागीदार बन रहा है। इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने किसानों की आय बढ़ाने में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भूमिका को निर्णायक बताया। वहीं, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बिहार को पूर्वी भारत का "विकास इंजन" बताया। उन्होंने मुजफ्फरपुर मेगा फूड पार्क और सात दिन के भीतर भूमि आवंटन वाली सिंगल विंडो क्लियरेंस प्रणाली का उल्लेख कर निवेशकों को आश्वस्त किया कि राज्य की औद्योगिक पारिस्थितिकी निवेश के लिए पूर्णत: तैयार है।
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने सम्मेलन को संस्थागत प्रयासों की एक मिसाल बताते हुए जानकारी दी कि वर्ष 2025 में ट्रैसनेट 2.0 जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की जाएगी, जिससे जीआई टैग वाले और जैविक उत्पादों की ट्रेसेबिलिटी बढ़ेगी और भारत की कृषि उपज की वैश्विक विश्वसनीयता मजबूत होगी। उल्लेखनीय है कि आईबीएसएम 2025 बिहार की उद्यमशीलता, कृषि नवाचार और वैश्विक साझेदारी की नई तस्वीर पेश करता है। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया है कि बिहार न केवल ऐतिहासिक रूप से महान रहा है बल्कि खाद्य प्रसंस्करण और निर्यात के भविष्य में भी उसका स्थान केंद्रीय होगा। सम्मेलन ने राज्य को वैश्विक निवेश और साझेदारी के लिए तैयार एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया है और यह भी संकेत दिया कि बिहार अब कृषि के क्षेत्र में "नेता से निर्माता" की ओर बढ़ चुका है।
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