राफेल: राफेल को दुनिया का दूसरा सबसे महंगा लड़ाकू विमान माना जाता है। यह फ्रांस, भारत और मिस्र की सेनाओं में शामिल है। एक राफेल की कीमत 135 मिलियन डॉलर है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे हैं। मिस्र ने 54 और कतर ने 36 लड़ाकू विमान खरीदे हैं। यूएई ने 80 राफेल खरीदने के लिए 19 अरब डॉलर का भारी सौदा किया था।
यूरोफाइटर टाइफून: 4.5 पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और स्पेन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। टाइफून को हवाई लड़ाई के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इसका प्यास और वजन का अनुपात 1:1 है। इसका निर्यात मूल्य 117 मिलियन डॉलर है। परियोजना में शामिल देशों के लिए यह राशि 50 मिलियन डॉलर प्रति इकाई है। इस लड़ाकू विमान में कई अत्याधुनिक तकनीकों का पहली बार प्रयोग किया गया है।
सुखोई-35 - यह रूस का सबसे उन्नत 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसकी लागत 85 मिलियन डॉलर है। रूस और चीन के पास भी यह विमान है। रूस और चीन के पास एफ-22 और एफ-35 जैसे स्टेल्थ लड़ाकू विमान नहीं हैं। लेकिन गति और चपलता में सुखोई-35 बेजोड़ है। इसकी गति 1900 समुद्री मील तक है।
शेनयांग जे-35 - इस चीनी जेट लड़ाकू विमान की कीमत 70 मिलियन डॉलर प्रति इकाई है। चीन का दावा है कि यह विमान अमेरिकी एफ-35 लाइटनिंग II का जवाब है। चीन पूरी दुनिया में इसका विपणन कर रहा है। इसकी गति 1.8 मैक तथा सीमा 1800 समुद्री मील है।
साब जेएएस ग्रिपेन - यह जेट लड़ाकू विमान स्वीडन द्वारा विकसित किया गया है। स्वीडन के साथ-साथ ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और हंगरी की वायु सेनाएं इन विमानों का उपयोग करती हैं। प्रति इकाई लागत 85 मिलियन डॉलर है। इसे स्मार्ट फाइटर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगे हैं।
एफ-15ईएक्स ईगल II - यह एफ-15 का सबसे उन्नत संस्करण है। एक यूनिट की कीमत 95 मिलियन डॉलर है। यह विमान ध्वनि की गति से 2.5 गुना अधिक गति से उड़ता है। यह 16 मिसाइलों के साथ 13.6 टन गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है। अमेरिका ने ऐसे केवल 8 लड़ाकू विमान ही बनाये हैं। एक बार ईंधन भरने के बाद यह 2,100 समुद्री मील तक उड़ सकता है।
एफ-35 लाइटनिंग II - एफ-35 को दुनिया की सबसे महंगी हथियार प्रणाली माना जाता है। इसके कई रूप हैं। एफ-35 लाइटनिंग II की लागत लगभग 109 मिलियन डॉलर है। अमेरिकी वायुसेना 2006 से एफ-35 विमान का उपयोग कर रही है। अब तक 1,100 से अधिक ऐसे विमान बनाए जा चुके हैं।
चेंग्दू जे-20 - यह चीन का पहला स्टील्थ लड़ाकू विमान है। इसकी लागत 110 मिलियन डॉलर है। यह ध्वनि की दुगुनी गति से उड़ता है। यह एक बार में 3000 समुद्री मील तक उड़ान भर सकता है। चीन इसका इस्तेमाल दक्षिण चीन सागर पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए करता है। इस जेट को अमेरिकी एफ-22 का प्रतिद्वंद्वी बताया जा रहा है। चीन ने इस तकनीक को अपने पास ही रखा है।
एफ-22 रैप्टर: एफ-22 रैप्टर को दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान माना जाता है। इसकी लागत लगभग 143 मिलियन डॉलर है। भारतीय रुपयों में इसकी कीमत 12 अरब है। इस लागत पर भारत में एक एम्स अस्पताल बनाया जा सकता है।
सुपर हॉर्नेट - सुपर हॉर्नेट एक जेट लड़ाकू विमान है जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर लड़ाई करने में माहिर है। इसकी लागत लगभग 73 मिलियन डॉलर है। इसका निर्माण अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा किया गया है। अमेरिका के साथ-साथ इसका उपयोग आस्ट्रेलिया और कुवैती वायु सेनाओं द्वारा भी किया जाता है। अब तक 630 से अधिक सुपर हॉरनेट का उत्पादन किया जा चुका है। इसकी सीमा 1800 समुद्री मील है। यह ध्वनि की गति से भी अधिक तेज़ उड़ता है।
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Mon, May 12 , 2025, 12:03 PM