Pahalgam terrorist attack: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान तनाव में है। भारत अब आगे क्या करेगा? यह वहां की सरकार और सेना (government and the army) दोनों के लिए चिंता का विषय रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि अगर भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो दुनिया के कौन से देश भारत के पक्ष में खड़े हो सकते हैं? भारत अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। भारत जानता है कि इस समय बड़े से लेकर छोटे देश तक, सभी देश हमारे साथ हैं। इसमें भी कई कारक शामिल हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का समय क्यों आ गया है? ऐसे समझें। मंगलवार को टीआरएफ के आतंकियों (TRF terrorists) ने कश्मीर के पहलगाम में एक क्रूर आतंकवादी हमला किया। निर्दोष, निहत्थे नागरिक मारे गये। आतंकवादियों ने लक्ष्य बनाकर हत्याएं कीं। इसलिए उन्होंने लोगों से पूछा कि आप हिंदू हैं या मुसलमान, और फिर उन्हें बेरहमी से मार डाला। इस हमले में 26 लोग मारे गए। इस घटना के समय प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में थे।
पहला कूटनीतिक हमला
इस हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तुरंत कश्मीर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने वहां की स्थिति को समझा। प्रधानमंत्री मोदी भी रात्रिभोज समारोह में शामिल हुए बिना ही कल सुबह भारत पहुंच गये। कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने एक्स पर पोस्ट करके इस आतंकी घटना की निंदा की और कहा कि वे भारत के साथ खड़े हैं। हमले की प्रकृति को देखते हुए, ऐसे संकेत भी हैं कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकता है। भारत ने सबसे पहले कूटनीतिक हमला किया। पता करें कि यदि कल भारत पाकिस्तान पर आक्रमण कर दे तो कौन से देश उसके साथ खड़े होंगे।
कौन से देश भारत के साथ खड़े होंगे?
वर्तमान में भारत के कई देशों के साथ मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संबंध हैं। समझें कि 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान कौन से देश हमारे साथ थे और कौन से देश अब हमारा समर्थन कर सकते हैं। यह भी समझें कि आज विश्व में भारत की स्थिति कितनी मजबूत है।
भारत के साथ खड़ा होने वाला पहला देश
कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान पर सीधा दबाव बनाया था। पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा का उल्लंघन बंद करना चाहिए और घुसपैठियों को वापस बुलाना चाहिए। 4 जुलाई 1999 को वाशिंगटन में नवाज शरीफ के साथ बैठक के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से भारत का समर्थन किया। आज भारत और अमेरिका की दोस्ती और मजबूत हो गई है। दोनों देश QUAD, I2U2 और रक्षा समझौतों के तहत मिलकर काम करते हैं। इसलिए अगर भारत कोई कड़ा फैसला लेता है तो अमेरिका का राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन सुनिश्चित माना जाता है।
दूसरा देश रूस
कारगिल युद्ध के दौरान रूस ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया था। रूस और भारत के बीच रक्षा क्षेत्र में दशकों पुराने संबंध हैं। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर एस-400 रक्षा प्रणाली तक भारत को रूस से रक्षा तकनीक प्राप्त हुई है। यूक्रेन युद्ध जारी रहने के बावजूद भारत-रूस संबंध मजबूत बने हुए हैं। ऐसी स्थिति में यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई सैन्य या कूटनीतिक कार्रवाई करता है तो उसे रूस से सीधा समर्थन प्राप्त होगा। विरोध की कोई सम्भावना नहीं है।
तीसरा देश फ्रांस
फ्रांस ने 1999 में भी भारत का समर्थन किया था। आज, फ्रांस ने भारत को राफेल लड़ाकू विमान, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी प्रदान की है। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में काम चल रहा है। ऐसे में भारत को फ्रांस से कूटनीतिक समर्थन मिलना तय है।
चौथा देश इज़राइल
कारगिल युद्ध के दौरान, इज़राइल ने गुप्त रूप से भारत को लेजर-निर्देशित मिसाइलें, ड्रोन और निगरानी उपकरण प्रदान किये थे। आज भारत और इजराइल साइबर सुरक्षा, रक्षा नवाचार और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग कर रहे हैं। इसलिए इजरायल न केवल भारत का सहयोग करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर आवश्यक तकनीक भी उपलब्ध करा सकता है।
पांचवां देश ब्रिटेन
1999 में ब्रिटेन ने शुरू में तटस्थ रुख अपनाया था। लेकिन बाद में भारत ने उसका समर्थन किया। आज, भारत-ब्रिटेन संबंध व्यापार और रक्षा दोनों स्तरों पर मजबूत हैं तथा मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा चल रही है। ब्रिटिश सांसदों का एक बड़ा वर्ग भारत के पक्ष में है। ऐसी स्थिति में ब्रिटेन भारत द्वारा उठाए गए किसी भी निर्णायक कदम का विरोध नहीं करेगा।
भारत का साथ देने से चीन को दोहरा लाभ होगा
कारगिल युद्ध के दौरान चीन की भूमिका तटस्थ थी। वर्तमान में, भारत-चीन संबंधों में अर्थव्यवस्था और भूराजनीति प्रमुख भूमिका निभाती है। हाल ही में चीन के राष्ट्रपति ने एक पत्र लिखकर कहा कि यदि हाथी और ड्रैगन साथ-साथ चलें तो वे अधिक शक्तिशाली हो जाएंगे। इसके अलावा, भारत के विशाल बाजार को देखते हुए, चीन खुले तौर पर भारत विरोधी रुख नहीं अपनाएगा। इसके विपरीत, चीन भारत का समर्थन करके आर्थिक लाभ और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन दोनों प्राप्त कर सकता है।
भारत अकेला नहीं है
यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ ठोस सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई करता है तो उसे मिलने वाला वैश्विक समर्थन 1999 की तुलना में अधिक व्यापक और मजबूत होगा। अमेरिका, फ्रांस, इजरायल और रूस खुलकर भारत का समर्थन करेंगे। ब्रिटेन और चीन भी भारत के खिलाफ नहीं जाएंगे। यह भारत की सफल विदेश नीति और उसकी बढ़ती वैश्विक छवि का परिणाम है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Thu, Apr 24 , 2025, 03:52 PM